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33 वर्ष बाद आरोपितों को कोर्ट से मिली राहत

जब्त भैंस को जबरन छुड़ाने के आरोप में 1982 में हुई थी प्राथमिकी बिहारशरीफ (नालंदा) : स्थानीय व्यवहार न्यायालय के पंचम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिवनाथ मिश्र ने 33 वर्ष पुराने एक मामले में सभी आरोपितों को दोषमुक्त करते हुए उसकी सजा को निरस्त कर दिया है. घटना के संबंध में हरनौत तत्कालीन कृषि […]

जब्त भैंस को जबरन छुड़ाने के आरोप में 1982 में हुई थी प्राथमिकी
बिहारशरीफ (नालंदा) : स्थानीय व्यवहार न्यायालय के पंचम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिवनाथ मिश्र ने 33 वर्ष पुराने एक मामले में सभी आरोपितों को दोषमुक्त करते हुए उसकी सजा को निरस्त कर दिया है.
घटना के संबंध में हरनौत तत्कालीन कृषि कर संग्राहक सोमनाथ पाठक ने रहुई थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. प्राथमिकी में कहा गया था कि वह थाना क्षेत्र निवासी नंद किशोर प्रसाद से कर के रूप में बकाया राशि की वसूली के लिए अपने सहकर्मियों एवं पुलिस के साथ 12 अप्रैल, 1982 को गया था, जहां बकाया राशि नहीं मिलने पर बकायेदार की भैंस को जब्त कर लौटने लगे.
इस बीच रास्ते में नंद किशोर प्रसाद सहित करीब दर्जन भर लोग हथियार के साथ उन्हें घेर लिया तथा जबरन जब्त भैंस को छीन कर लेते गये. इस मामले में मुख्य आरोपित नंद किशोर प्रसाद सहित सात आरोपितों को प्राथमिकी में नामजद किया गया था. इस मामले में आरोप पत्र, संज्ञान व आरोप के गठन के बाद न्यायिक दंडाधिकारी बीके सिन्हा ने विचारण किया तथा आरोपितों को भैंस छीनने व सरकारी कार्य में बाधा डालने का दोषी पाया तथा 75 वर्षीय वासो महतो को प्रोबेशन पर मुक्त करते हुए अन्य आरोपितों को छह-छह माह के कारावास की सजा 12 अक्तूबर, 1986 को सुनाई थी.
सजा के विरुद्ध दाखिल क्रिमिनल अपील संख्या 114/86 की सुनवाई के बाद आखिरकार न्यायाधीश श्री मिश्र द्वारा आरोपित नंद किशोर प्रसाद, रामानुज प्रसाद एवं किशोर प्रसाद को रिहा करने का आदेश दिया.

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