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न शिक्षक है न भवन, कैसे होगी बच्चों की पढ़ाई
बिहारशरीफ/एकंगरसराय : एकंगरसराय प्रखंड के सुदूरवर्ती क्षेत्र में स्थित राजकीयकृत संत कबीर प्लस टू उच्च विद्यालय मंडाछ में कई वर्षो से इंटरमीडिएट की पढ़ाई शुरू नहीं हुई है. इंटरमीडिएट विद्यालय का अर्धनिर्मित भवन तथा शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाने के कारण यहां छात्रों का नामांकन प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो सका है. विद्यालय नालंदा […]
बिहारशरीफ/एकंगरसराय : एकंगरसराय प्रखंड के सुदूरवर्ती क्षेत्र में स्थित राजकीयकृत संत कबीर प्लस टू उच्च विद्यालय मंडाछ में कई वर्षो से इंटरमीडिएट की पढ़ाई शुरू नहीं हुई है. इंटरमीडिएट विद्यालय का अर्धनिर्मित भवन तथा शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाने के कारण यहां छात्रों का नामांकन प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो सका है.
विद्यालय नालंदा तथा जहानाबाद जिले के सीमा रेखा पर स्थित होने के साथ-साथ कई नदियों से घिरा हुआ है. खराब भौगोलिक स्थिति के कारण यहां के छात्रों के लिए इंटरमीडिएट की पढ़ाई का विशेष महत्व है.
ग्रामीणों के अनुसार आसपास में इंटरमीडिएट विद्यालय की दूरी 09 से 15 किमी तक है, जिससे ग्रामीण छात्र-छात्राओं को इन विद्यालयों में भी पढ़ाई करना आसान नहीं है. विद्यालय का छात्र राजेश कुमार ने बताया कि अच्छी सड़कों तथा यातायात के साधनों के अभाव में भी विद्यार्थी दूर-दराज के विद्यालयों में पढ़ाई करने में असमर्थ हो रहे हैं. यहां की छात्राओं को इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करना सबसे मुश्किल हो रहा है. ग्रामीण छात्रएं मैट्रिक के बाद ही अपनी पढ़ाई समाप्त कर देती है.
माध्यमिक विद्यालय भी बदहाल
संत कबीर उच्च विद्यालय मंडाछ जहां अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. वहीं विद्यालय के बच्चे अपने किस्मत को कोसने को मजबूर है. यह विद्यालय मात्र तीन नियोजित शिक्षकों के भरोसे चलाया जा रहा है.
यहां अंगरेजी, संस्कृत व शारीरिक शिक्षक के अलावे किसी अन्य विषय के शिक्षक मौजूद नहीं है. विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने बताया कि शिक्षक के अभाव में सभी प्रमुख विषयों विज्ञान,गणित, हिंदी,भूगोल,समाज अध्ययन आदि की पढ़ाई बंद है. विद्यालय के छात्र-छात्रएं 09 से 15 किमी तक साइकिल चला कर ट्यूशन तथा कोचिंग संस्थानों में पढ़ने को विवश है. विद्यालय की छात्र सरिता कुमारी ने बताया कि छात्राओं के लिए घर से इतनी दूर जाकर पढ़ाई करना आसान नहीं है.
बरसात में विद्यालय पहुंचना होता है मुश्किल
विद्यालय पहुंचने का रास्ता गांव की संकरी गलियों तथा टूटी-फूटी पगडंडियों से होकर गुजरता है. बरसात के दिनों में विद्यालय के रास्ते तथा परिसर में जलजमाव होने के कारण छात्र-शिक्षकों को विद्यालय पहुंचना मुश्किल हो जाता है. कई विद्यार्थियों ने बताया कि विद्यालय में जहां उपस्करों का घोर अभाव है. वहीं नये बने भवन के छत से भी बरसात का पानी टपकता है. विद्यालय में अन्य जरूरी संसाधनों का भी घोर अभाव है. सुदूरवर्ती क्षेत्र होने के कारण यहां न तो शिक्षक टिकना चाहते हैं और ना ही कोई अधिकारी कभी जांच करने पहुंचते हैं.
स्कूल में मौजूद सुविधाएं
भवन – इंटरमीडिएट का अधूरा, माध्यमिक में तीन कमरे,बिजली – नहीं है,उपस्कर – माध्यमिक में नहीं है,पेयजल – एक चापाकल,शौचालय – नहीं है,प्रयोगशाला – नहीं,पुस्तकालय – नहीं,खेल का मैदान – छोटा,चहारदीवारी – नहीं,शिक्षक – इंटरमीडिएट में नहीं, माध्यमिक में 03,विद्यार्थी – इंटरमीडिएट में नहीं, माध्यमिक में 140.
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