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14 जनवरी को मकर संक्रांति अब हो जायेगी गुजरे जमाने की बात
इस बार से आगामी 100 वर्षो तक 15 जनवरी को मकर संक्रांति बिहारशरीफ (नालंदा) : अब तक मकर संक्रांति का नाम लेते ही 14 जनवरी का ध्यान बरबस ही आ जाता है. मगर अब यह गुजरे जमाने की बात हो जायेगी. ज्योतिषाचार्यो के अनुसार इस वर्ष से अगले सौ साल तक मकर संक्रांति 14 जनवरी […]
इस बार से आगामी 100 वर्षो तक 15 जनवरी को मकर संक्रांति
बिहारशरीफ (नालंदा) : अब तक मकर संक्रांति का नाम लेते ही 14 जनवरी का ध्यान बरबस ही आ जाता है. मगर अब यह गुजरे जमाने की बात हो जायेगी. ज्योतिषाचार्यो के अनुसार इस वर्ष से अगले सौ साल तक मकर संक्रांति 14 जनवरी की जगह 15 जनवरी को मनायी जायेगी.
इस वर्ष भी 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनायी जायेगी और अगले 100 वर्षो तक यह जारी रहेगी. ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीकांत शर्मा बताते हैं कि 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में संध्या 7 बज कर 20 मिनट पर प्रवेश करेगा. मकर संक्रांति सूर्य दर्शन का पर्व है इसलिए इसका पुण्यकाल 15 जनवरी को होगा. संक्रांति का पुण्यकाल 18 घंटे का रहता है. ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि दिन पीछे चले जाने से हर 100 वर्षो में संक्रांति का एक दिन बढ़ जाता है.
संक्रांति हाथी पर सवार हो जायेगी
पंचांग के अनुसार इस बार महोदरी नामक संक्रांति हाथी पर सवार होकर आयेगी. इसकी दृष्टि वाचण्य दिशा में रहेगी. गोरोचन स्वरूप, मुकुट, भूषण धारण किये हुए, सफेद कैयुरी लिये दही का भक्षण करते हुए पश्चिम दिशा में जायेगी.
इनको होगा फायदा
महोदरी नक्षत्र चोरों के लिए हितकर व सेना के जवानों के लिए सुखद और विजय कारक होगा. इस बार भी मकर संक्रांति राजनेता, सचिव स्तर के अधिकारी, राजपत्रित अधिकारी, नीति निदेशक व अधीक्षक वर्ग के अधिकारी के लिए फलदायी होगा.
मकर संक्रांति का महत्व
मकर राशि में जब सूर्य देवता आते हैं तो देवता, नाग, गंधर्व, किन्नर, ऋषि मुनी, संत आदि घाटों पर स्नान करते हैं. रामचरित मानस में भी संक्रांति पर्व का महत्व बताया गया है. इस दिन स्नान-ध्यान करने से मनुष्य मानसिक व शारीरिक रोगों से मुक्त होता है.
संक्रांति में दही का प्रयोग लाभदायक
मकर राशि में सूर्य के प्रवेश के बाद से प्रतिदिन तिल के बराबर दिन बड़ा होने लगता है. तिल ग्रहण करना दिन में वृद्धि का सूचक है. इसमें दही का प्रयोग शुभ माना जाता है. मकर संक्रांति से पूर्व दही के प्रयोग से हानि एवं मकर संक्रांति में दही का प्रयोग लाभदायक होता है. कृषि प्रधान देश में धान के नये अन्न की पूजा व चूड़ा खाने के पीछे अपने कर्मफल को पाने का महत्व है.
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