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तुम तो मर्डर केस में जेल गये थे छूट गये, हिरासत में लो इसे

मुजफ्फरपुर : कौन है, इस घर में. दरवाजा खोलिये. तभी एक युवक दरवाजा खोलता है. डीएसपी आशीष आनंद उसे देख कर कहते हैं, अरे तुम, मर्डर केस में तुम्हीं जेल गये थे न. इसे हिरासत में लो. गेट खोलने वाले व्यक्ति हैदर कादिर को पुलिस हिरासत में ले लेती है. गेट खुलने के साथ ही […]

मुजफ्फरपुर : कौन है, इस घर में. दरवाजा खोलिये. तभी एक युवक दरवाजा खोलता है. डीएसपी आशीष आनंद उसे देख कर कहते हैं, अरे तुम, मर्डर केस में तुम्हीं जेल गये थे न. इसे हिरासत में लो. गेट खोलने वाले व्यक्ति हैदर कादिर को पुलिस हिरासत में ले लेती है. गेट खुलने के साथ ही कमरे में लैपटॉप, प्रिंटर व काफी संख्या में मतदाता पर्ची का प्रिंट देख एसडीओ पूर्वी सुनील कुमार व डीएसपी आशीष आनंद हैरत में पड़ जाते हैं. एसडीओ महिला पुलिसकर्मियों को घर में जाकर खोजने को कहते हैं.

एक साथ एक दर्जन महिला पुलिस घर में जाती हैं. एक लौट कर कहती है कि सर, बहुत सारे कमरे हैं और पीछे से बाहर जाने का रास्ता भी है. तुम सब नजर रखो. एसडीओ खुले लैपटॉप का सॉफ्टवेयर खोल कर देखते हैं, फिर कहते हैं- अरे, इसमें तो फर्जी मतदाता पहचान पत्र बनाया जा रहा है. आर्किटेक्ट का सॉफ्टवेयर भी है. यहां जालसाजी हो रही है. यह मामला मिठनपुरा के शिवशंकर पथ स्स्थित पूर्व वार्ड पार्षद बब्बू शर्मा के आवास का है. उनकी पत्नी प्रियंका शर्मा इस बार वार्ड चुनाव में खड़ी हैं. रेड के क्रम में ही वे यहां पहुंचती हैं.

पूछताछ में नहीं दे पायी जवाब. पुलिस पदाधिकारी उनसे लैपटॉप के बारे में पूछते हैं, वे इसके बारे में नहीं बता पातीं. वे कहती हैं सहयोग करने वाले किसी व्यक्ति का है. किसका है, नहीं पता, लेकिन वे बार-बार कहती हैं कि यहां हम प्रत्याशियों को पर्ची दे रहे हैं. गलत काम नहीं किया जा रहा है. डीएसपी मिठनपुरा थाना प्रभारी को बुला कर सामान की जब्ती करते हैं. इसी बीच सूचना पर डीएम भी दलबल के साथ यहां पहुंचते हैं. उनके सामने कमरे की छानबीन की जाती है. जिसमें कुछ लोगों का वोटर कार्ड मिलता है. सभी सामान की जब्ती कर प्रियंका शर्मा को पुलिस हिरासत में लेती है. डीएम कहते हैं कि मामले की जांच होगी.
शक के दायरे में आरके टेक एजेंसी, हो सकती है कार्रवाई
प्रियंका शर्मा के घर पर वोटर परची की सॉफ्ट कॉपी मिलने के मामले में आरके टेक एजेंसी शक के दायरे में आ गयी है. आरके टेक को पर्ची बनाने की िजम्मेवारी िमली है. उसकी सॉफ्ट कॉपी भी उसके पास ही रहती है. प्रत्याशी को नामांकन के बाद वोटर लिस्ट के साथ-साथ संबंधित वार्ड के वोटरों की वोटर परची भी दी जाती है. सॉफ्ट कॉपी देने का प्रावधान नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि जो सॉफ्ट कॉपी एजेंसी के पास है, वह प्रत्याशी के घर कैसे पहुंची! जो लैपटॉप प्रत्याशी के घर पर बरामद हुआ है, उस पर भी आरके टेक लिखा है. डीएम ने भी स्वीकार किया कि एजेंसी की भूमिका इस मामले में संदेहास्पद है. जांच में यदि साबित होता है तो एजेंसी पर कार्रवाई की जायेगी.

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