मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में जीवन रक्षक इंजेक्शन बच्चों के लिए मौत का फरमान बन गया. जानकारी के मुताबिक जिले के औराई प्रखंड के पटोरी गांव में मिजिल्स और जापानी इंसेफेलाइटिस का इंजेक्शन दो बच्चों की मौत का कारण बन गया, वहीं, दूसरी ओर इस इंजेक्शन से नौ बच्चे बीमार हो गये हैं. उनकी हालत नाजुक बतायी जा रही है. मृतक बच्चों में नौ वर्ष का राजा बाबू और डेढ़ वर्ष का सोनू शामिल हैं. जिले में गर्मी का मौसम आते ही इंसेफेलाइटिस के प्रयोग से बच्चों की मौत का सिलसिला जारी हो जाता है. स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक, शुक्रवार को सरकारी एएनएम शकुंतला कुमारी ने बच्चों को मिजिल्स व जेई की सूई दी. शाम होते-होते बच्चों की स्थिति काफी खराब हो गयी. बाद में उन्हें बुखार हुआ. हालांकि, ग्रामीणों ने इसकी सूचना स्थानीय आंगनबाड़ी सेविका को दी, लेकिन वह नहीं पहुंची.
दो बच्चों की मौत
बताया जा रहा है कि शनिवार की सुबह दो बच्चे राजा और सोनू कुमार ने दम तोड़ दिया. उसके बाद पूरे गांव में हाहाकार मच गया है. स्थानीय ग्रामीणों ने स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों को इस मामले की जानकारी दी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की कोई भी टीम बच्चों को देखने नहीं आयी और ना ही विभाग की ओर से किसी प्रकार की चिकित्सीय राहत मुहैया करायी गयी. बीमार सभी नौ बच्चों को निजी नर्सिंग होम और अस्पताल में भरती कराया गया है. टिका लगने से अंश कुमार, एक वर्ष, दीपक कुमार, रोहित कुमार, पुनीता कुमारी, निशा कुमारी (सात महीने), अंशु, कुसुम, मनीष और आयुष नाम के बच्चे गंभीर रूप से बीमार हैं. उन्हें गंभीर अवस्था में पास के निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया है. कुछ बच्चों को अभिभावकों ने जिला मुख्यालय के अस्पतालों में भी भर्ती कराया है. बाकी बच्चों का इलाज गांव के ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चल रहा है.
स्वास्थ्य विभाग लापरवाह
वहीं दूसरी ओर जिले के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. आरएन शर्मा को इस घटना की जानकारी दे दी गयी है, लेकिन अभी तक गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं पहुंची है. ग्रामीणों में चिकित्सकों की लापरवाही को लेकर काफी गुस्सा है. ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए गांव में पुलिस की तैनाती कर दी गयी है. आंगनबाड़ी सेविका फरार बतायी जा रही है. वहीं दूसरी ओर विभाग की ओर से अभी किसी प्रकार का कदम नहीं उठाया गया है.
यह भी पढ़ें-
गया में इंसेफेलाइटिस का कहर, अबतक 17 बच्चों की मौत