मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि के कुलपति डॉ अमरेंद्र नारायण यादव ने कहा, देश के 90 फीसदी संसाधन पर 10 फीसदी लोगों को कब्जा है. इससे सामाजिक व आर्थिक विषमता बढ़ी. कमोवेश कहें तो देश आजाद होने के बाद भी किसानों की आर्थिक व सामाजिक हालत जो आजादी के पहले थे, आज भी वही है. आज भी देश के किसान उन्हीं परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं जो सौ वर्ष पूर्व नीलहों के आतंक से भयभीत होकर गरीबी व दुखों के महाजाल में उलझ कर जिंदगी बिताते थे. डॉ यादव शुक्रवार को सिकंदरपुर स्थित श्री गांधी स्मृति पुस्तकालय में ‘मोहन से महात्मा तक का सफर : चंपारण सत्याग्रह के संदर्भ में’ विषय पर विचार व्यक्त कर रहे थे. उन्होंने कहा, इस कार्यक्रम का मकसद देश के युवाओं को गांधी के विचारों से जोड़ना है.
मुख्य वक्ता सह विवि सीनेटर डॉ अरुण कुमार सिंह ने कहा, मोहन दास से महात्मा गांधी तक काफी सफर गांधी जी के लिए बहुत ही कठिन परिस्थितियों वाला रहा है. बचपन से अपनी कमजोरियों से लड़ने वाले मोहन दास दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह को आत्मसात कर रंगभेद की नीतियों के खिलाफ उतरे. सबसे बड़े योद्धा बने. चंपारण यात्रा गांधी के सत्याग्रह का दूसरा चरण कहा जा सकता है. कोलकाता अधिवेशन समाप्ति के बाद वे चंपारण यात्रा पर पंडित योगेंद्र शुक्ल के साथ निकले. पटना में उन्हें शौचालय जाने के दौरान रंग भेद का सामना करना पड़ा. तब उन्हें पता चला कि यहां भी वकीलों व मुवक्किलों में कैसा भेद है. धारा 144 लगने के बाद भी चंपारण कोर्ट में जिस दृढ़ता से अंगरेजी हुकूमत के खिलाफ किसानों की आवाज बुलंद की. वह उनके महात्मा बनने की राह को और आसान बनाया. विशिष्ट अतिथि डॉ संजय पंकज, स्वतंत्रता सेनानी राम संजीवन ठाकुर ने विचार रखे.
मंच संचालन डॉ विकास नारायण उपाध्याय ने किया. धन्यवाद ज्ञापन ऋतेश अनुपम ने किया. इस मौके पर अशोक कुमार शर्मा, डॉ सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा, डॉ अर्चना अनुपम,रंजीत मेहता, डॉ यशवंत कुमार, विनय कुमार प्रशांत, एचएल गुप्ता, मनोज कुमार ने विचार रखे.