20 साल बेटे की तरह पाला, मौत पर देना पड़ा सबूत
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राजभूषण का सहारा नहीं बन पाया रौशन
20 साल बेटे की तरह पाला, मौत पर देना पड़ा सबूत मुजफ्फरपुर : 20 साल पहले राजभूषण को जब सात साल का लावािरस रौशन िमला था, तब वह धर्मशाला चौक िस्थत अपनी चाय की दुकान पर था. सुबह का समय था और रौशन स्टेशन की ओर से धूमता हुआ राजभूषण के पास पहुंचा था. संतान […]
मुजफ्फरपुर : 20 साल पहले राजभूषण को जब सात साल का लावािरस रौशन िमला था, तब वह धर्मशाला चौक िस्थत अपनी चाय की दुकान पर था. सुबह का समय था और रौशन स्टेशन की ओर से धूमता हुआ राजभूषण के पास पहुंचा था. संतान िवहिन राजभूषण ने जब रौशन की बात सुनी तो उसे लगा िक संतान की कमी पूरी हो गयी. वह बेटे की तरह उसे पालने लगा. रौशन ने भी उसे अपना िपता माना. काम में हाथ बंटाता और जब बड़ा हुआ, तो कमाने के िलए दूसरे शहरों में जाने लगा. लेिकन िनयती को कुछ और ही मंजूर था. रौशन गंभीर रूप से बीमार हुआ और बुधवार को अंतिम सांस ली.
िजस रौशन में राजभूषण अपने बुढ़ापे का सहारा तलाश रहा था वह उसके सामने शव के रूप में लेटा था. अकेले ही राजभूषण उसे अंतिम संस्कार के िलए लेकर श्मशान पहुंचा था. शव रखा और जलावन लेने के िलए मुड़ा ही था िक िनगम के कर्मचािरयों ने उसे रोक िलया. पूछने लगे िकसका शव है. दरअसल िनगमकमिर्यों को राजभूषण पर शक हो गया था. इसलिए उन्होंने पूछताछ शुरू कर दी. संतुष्ट नहीं हुए तो नगर थाने की पुिलस को बुला िलया. इस बीच राजभूषण लगातार यह कहता रहा िक रौशन उसका दत्तक पुत्र है, लेिकन िनगम कर्मियों ने उसकी बात नहीं सुनी. मौके पर पहुंची पुिलस रौशन के शव के साथ राजभूषण को थाने ले आयी. पूछताछ का िसलसिला शुरू हुआ तो राजभूषण के मोहल्ले के लोग भी थाने पहुंच गये. ये वह लोग थे,
जो रौशन के अंतिम संस्कार में भाग लेने के िलए श्मशान पहुंचे थे, लेिकन उन्हें वहां पूरी घटना की जानकारी िमली तो थाने पहुंच गये. पुिलस वालों को बताया िक राजभूषण ने ही रौशन का पालन-पोषण िकया है. उसकी मौत स्वभािवक है और बीमारी की वजह से ही है. पुिलस ने मोहल्ले के लोगों की बात मानी और राजभषण को रौशन का शव लेने का आश्वासन िदया, लेकन पोस्टमार्टम के बाद.
मुहल्लेवालों के कहने पर छोड़ा
शव सहित राजभूषण को किया पुलिस के हवाले
चाय दुकानदार राजभूषण को सात साल की उम्र में मिला था रौशन
गवाही पर पोस्टमार्टम के बाद शव सौंपने को तैयार हुई पुलिस
िबना अंितम संस्कार ही श्मशान से लौटा शव
युवा अवस्था में ही िजंदगी की जंग हारने वाले रौशन की बदनसीबी ने श्मशान में भी उसका साथ नहीं छोड़ा. बचपन में मां-बाप का साथ छूटा, तो लावािरश हो गया. राजभूषण के रूप में िपता िमले तो बीमारी ने िजंदगी छीन ली. अंितम संस्कार के िलए शव श्मशान पहुंचा तो वहां शंका और आशंकाओं ने डेरा जमा िदया. अब पोस्टमार्टम के बाद रौशन की अर्थी दुबारा सजेगी, िजसके बाद उसका अंितम संस्कार हो सकेगा.
सात जिलों की 800 एकड़ जमीन पर करायी जायेगी जैिवक खेती
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