मेयर की शक्ति बढ़ेगी, तो निश्चित तौर पर निगम से भ्रष्टाचार भी घटेगा. यदि दूसरे राज्यों की बात करें तो उत्तरप्रदेश ऐसा राज्य है, जहां मेयर का चुनाव सीधे जनता करती है. वहां के शहरों की हालत कमोबेश बिहार के शहरों से बेहतर है. खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी एक कार्यक्रम में बोलते हुए मेयर के प्रत्यक्ष चुनाव का समर्थन कर चुके हैं.
Advertisement
93 % वार्ड पार्षद बोले : जनता सीधे मेयर को चुने
मुजफ्फरपुर: मेयर का चुनाव कैसे हो! सीधे जनता चुने या जनता से चुने गये पार्षद! प्रभात खबर ने जब यह राय शहर के आम लोगों से पूछी, तो प्राय: सभी ने सीधे चुनाव का समर्थन किया. यहां के पार्षद व जनप्रतिनिधि इस बारे में क्या सोचते हैं, इसके लिए जब उनके मन को टटोलने का […]
मुजफ्फरपुर: मेयर का चुनाव कैसे हो! सीधे जनता चुने या जनता से चुने गये पार्षद! प्रभात खबर ने जब यह राय शहर के आम लोगों से पूछी, तो प्राय: सभी ने सीधे चुनाव का समर्थन किया. यहां के पार्षद व जनप्रतिनिधि इस बारे में क्या सोचते हैं, इसके लिए जब उनके मन को टटोलने का हमने प्रयास किया, तो यहां भी सीधे चुनाव के समर्थक अधिक मिले. यहां नगर निगम में कुल 49 वार्ड हैं. हमने सभी पार्षदों (वार्ड चार को छोड़ कर) से बात करने की कोशिश की. 42 पार्षदों से बात हुई. इनमें से 39 ने मेयर का चुनाव सीधे जनता के माध्यम से कराने का समर्थन किया. यानी करीब 92.85 प्रतिशत. महज दो ने वर्तमान व्यवस्था का ही समर्थन किया. वार्ड 37 की पार्षद गार्गी सिंह न तो इसके पक्ष में बोलीं, न विपक्ष में.
ऐसा नहीं है कि सिर्फ पार्षद ही मेयर का चुनाव सीधे जनता से कराने के पक्ष में हैं. आमतौर पर शहर की राजनीति को लेकर आमने-सामने रहनेवाले नगर विधायक सुरेश शर्मा व पूर्व विधायक विजेंद्र चौधरी भी इसके समर्थकों में शामिल हैं. इनमें से पहले मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के विधायक हैं, वहीं दूसरे सत्ताधारी जदयू के नेता हैं. वहीं जब हमने इस मामले में बोचहां की निर्दलीय विधायक बेबी देवी से बात की, तो वह वर्तमान व्यवस्था पक्षधर दिखी.
पक्ष में रहे पार्षद :
वार्ड-2- सीमा देवी
वार्ड-5- सीमा कुमारी
वार्ड-6- जूही आरा
वार्ड-7- राजा विनीत कुमार
वार्ड-8- कृष्ण कुमार साह
वार्ड-9- सलमा खातून
वार्ड-10- रिजवाना खातून
वार्ड-11- शीतल गुप्ता
वार्ड-12- ममता सिंह
वार्ड-13- रामनाथ प्रसाद गुप्ता
वार्ड-14- प्रेमा देवी
वार्ड-17- राखी देवी
वार्ड-19- कपिला देवी
वार्ड 20- रागिनी देवी
वार्ड- 22- वर्षा सिंह
वार्ड- 24- त्रिभुवन राय
वार्ड-25- धर्मशीला देवी
वार्ड- 26- संजय कुमार
वार्ड-27- सायेदा खातून
वार्ड-28- राजीव कुमार
वार्ड-29- रंजू सिन्हा
वार्ड-30- राजेश कुमार
वार्ड-31- राजेश कुमार गुप्ता
वार्ड-32- रामेश्वर पासवान
वार्ड-33- मोहम्मद अब्दुल्लाह
वार्ड-34- आनंद कुमार महतो
वार्ड- 35- आभा रंजन
वार्ड-36- रविशंकर शर्मा
वार्ड-38- इकबाल कुरैशी
वार्ड- 39- मुकेश कुमार विजेता
वार्ड-40- रानी बेगम
वार्ड-42- अर्चना पंडित
वार्ड-43- सैयद माजिद हुसैन
वार्ड-44- अनिशुल फातमा
वार्ड-45- दीपलाल राम
वार्ड-47- सुनीता देवी
वार्ड- 49- कृष्णा देवी
विपक्ष में पार्षद :
वार्ड-23- पूनम सिन्हा
वार्ड-41- विजय कुमार झा
पार्षद, जो कुछ नहीं बोले :
वार्ड-37- गार्गी सिंह
क्षेत्र विशेष नहीं, शहर के विकास पर होगा ध्यान : जिन लोगों ने पार्षद का चुनाव सीधे जनता के माध्यम से कराने का समर्थन किया, उनका साफ मानना था कि सीधे चुनाव से मेयर सीधे जनता के प्रति जवाबदेह होगी. उस पर न तो बाहरी लोगों का दबाव होगा, न ही पार्षदों का. उनके नेतृत्व में निगम प्रशासन क्षेत्र विशेष के लिए नहीं, पूरे शहर के विकास के लिए काम करेगा. पूरे शहर का प्रतिनिधित्व करने के कारण
मेयर की शक्ति बढ़ेगी, तो निश्चित तौर पर निगम से भ्रष्टाचार भी घटेगा. यदि दूसरे राज्यों की बात करें तो उत्तरप्रदेश ऐसा राज्य है, जहां मेयर का चुनाव सीधे जनता करती है. वहां के शहरों की हालत कमोबेश बिहार के शहरों से बेहतर है. खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी एक कार्यक्रम में बोलते हुए मेयर के प्रत्यक्ष चुनाव का समर्थन कर चुके हैं.
मेयर की शक्ति बढ़ेगी, तो निश्चित तौर पर निगम से भ्रष्टाचार भी घटेगा. यदि दूसरे राज्यों की बात करें तो उत्तरप्रदेश ऐसा राज्य है, जहां मेयर का चुनाव सीधे जनता करती है. वहां के शहरों की हालत कमोबेश बिहार के शहरों से बेहतर है. खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी एक कार्यक्रम में बोलते हुए मेयर के प्रत्यक्ष चुनाव का समर्थन कर चुके हैं.
‘हॉर्स ट्रेडिंग’ के भी लग चुके हैं आरोप : मेयर नगर निगम बोर्ड व सशक्त स्थायी समिति के अध्यक्ष होते हैं. शहरी में जितनी भी विकास योजनाएं बनती है, उस पर अंतिम मुहर बोर्ड में ही लगती है. ऐसे में हर कोई इस पद को पाना चाहता है. फिलहाल मेयर का चुनाव जनता से चुने गये पार्षद करते हैं. पार्षद खुद अपनी मरजी से मेयर के पद के लिए वोट करते हैं. इसमें जनता की राय नहीं पूछी जाती है.
इसके कारण पार्षदों का मेयर के चुनाव में भूमिका बढ़ जाती है. इस प्रणाली में मेयर के चुनाव के दौरान पार्षदों के ‘खरीद-फरोख्त’ की आशंका भी बनी रहती है. मुजफ्फरपुर नगर निगम में भी यह मामला उठ चुका है. मामला निगरानी तक पहुंचा, जिस पर अंतिम फैसला आना अभी बांकी है. इस मामले में पूर्व विधायक के साथ-साथ तब के कई पार्षदों के नाम भी आरोपितों में शामिल हैं.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement