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घर से बुला कर प्रोपर्टी डीलर की हुई थी हत्या
मुजफ्फरपुर : सदर थाना के इंदिरा कॉलाेनी निवासी जमीन व्यवसायी सौरभ कुमार उर्फ गुंजन की हत्या उसके साथियों ने ही की थी. एक करोड़ रुपये पचाने के लिए घटना को अंजाम दिया गया था. गुंजन अपने व्यावसायिक मित्रों को सूद पर कर्ज दिया करता था. साथ ही उसे सख्ती से वसूलता था. समय पर बकाया […]
मुजफ्फरपुर : सदर थाना के इंदिरा कॉलाेनी निवासी जमीन व्यवसायी सौरभ कुमार उर्फ गुंजन की हत्या उसके साथियों ने ही की थी. एक करोड़ रुपये पचाने के लिए घटना को अंजाम दिया गया था. गुंजन अपने व्यावसायिक मित्रों को सूद पर कर्ज दिया करता था. साथ ही उसे सख्ती से वसूलता था. समय पर बकाया नहीं देने पर जुर्माना लगाता था. बकाया व जुर्माना मिलाकर बड़ी राशि हो गयी थी, जिसका चुकता करना मुश्किल होते देख उसकी हत्या कर दी गयी.
मामले में गिरफ्तार शशि रंजन ने पूछताछ में खुलासा किया कि 2012 में उसने गुंजन से 15 लाख रुपये लिये थे. कई बार कर्ज के रुपये भी लौटाये. बावजूद वह उससे 53 लाख रुपये की मांग कर रहा था. नहीं देने पर धमकी देता था. इसी तरह राजीव व अरुण ने भी उससे दो-दो लाख रुपये लिये थे. इसके बदले वह 25 लाख की मांग कर रहा था. इससे नाराज राजेश व अरुण ने उसे रास्ते हटाने की ठान ली थी.
आठ घंटे बोलेरो में ही रहा शव
हत्या के बाद शव को सफेद चादर में लपेट एक बोरा में ठूंसकर गाड़ी में रख दिया. इसके बाद तीनों शाम होने का इंतजार करने लगे. इस दौरान तीनों ने गाड़ी का शीशा चढ़ा दिया और एलएस कॉलेज परिसर में ही टहलने लगे. शाम साढ़े छह बजे शव को ठिकाने लगाने के लिए वहां से निकल गये.
14 सितंबर को ही बन गया था प्लान
मनियारी-मरीचा के राजीव, अरुण व अतरदह के शशि रंजन पर गुंजन कर्ज के रुपये लौटाने का लगातार दबाव दे रहा था. विश्वकर्मा पूजा के पहले रुपये नहीं लौटाने पर अंजाम भुगतने की धमकी भी दी थी. इससे बौखलाये तीनों ने उसे रास्ते से हटाने की ही ठान ली. 14 सितंबर को कच्ची-पक्की चौक पर योजना बनायी गयी. योजना के अनुसार शशि रंजन ने लेन-देन का हिसाब करने के लिए 16 सितंबर के सुबह दस बजे का समय निर्धारित किया था.
विवि के हिंदी विभाग के पीछे हुई हत्या
16 सितंबर को सुबह दस बजे कर्ज का हिसाब करने गुंजन आरडीएस कॉलेज के पीछे वाले गेट पर गन्नीपुर पहुंचा. वहां पहले से राजेश व अरुण सफेद रंग की बोलेरो गाड़ी लेकर मौजूद थे. राजीव ने उसकी बुलेट ले ली और उसे बोलेरो से विवि के हिंदी विभाग की ओर चलने को कहा. वहां गाड़ी में ही कर्ज का हिसाब होने लगा. इसी बीच करीब साढ़े 11 बजे राजीव व शशि रंजन ने उसके दोनों हाथ पकड़ लिये. अरुण ने गले में रस्सी का फंदा कस कर उसकी हत्या कर दी. बुलेट को झाड़ी में छिपा दिया.
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