मुजफ्फरपुर : हिंदी दिवस हिंदी के नाम समर्पण का दिन है. इस दिन अहिंदी भाषी लोग भी इसकी महत्ता से इनकार नहीं करते. हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा मिलने के बाद हिंदी का प्रसार हुआ है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता. अनेक हिंदी लेखकों ने विश्व स्तर पर हिंदी की प्रतिष्ठा दिलायी है. हालांकि हिंदी दिवस की औपचारिकता पर भी सवाल उठते रहे हैं. यहां हमने हिंदी की सेवा करने वाले पांच लेखकों से इस संदर्भ में बात की. तीन पीढ़ियों का अंतर होने के बावजूद लेखकों ने स्वीकार किया कि हिंदी ने उन्हें कलम दी है. यह जिंदगी इस भाषा को समर्पित है. यहां हम ऐसे ही लेखकों के विचार रख रहे हैं
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हमारे गौरव की बात है हिंदी में काम करना
मुजफ्फरपुर : हिंदी दिवस हिंदी के नाम समर्पण का दिन है. इस दिन अहिंदी भाषी लोग भी इसकी महत्ता से इनकार नहीं करते. हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा मिलने के बाद हिंदी का प्रसार हुआ है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता. अनेक हिंदी लेखकों ने विश्व स्तर पर हिंदी की प्रतिष्ठा दिलायी है. हालांकि […]
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