मुजफ्फरपुर : औराई थाने के नयागांव में बेटी को जन्म देने पर ससुरालवालों ने बहू को अपने मैके से शहर में दस धूर जमीन व पांच लाख रुपये लाने का फरमान सुना दिया. इस फरमान को पूरा करने में असमर्थता जताने पर ससुरालवालों ने उसे तीन वर्षों तक नजरबंद रखा.
इस दौरान पीड़िता के पिता ने महिला हेल्पलाइन से लेकर पुलिस थानों तक उसे मुक्त कराने की गुहार लगायी. महिला हेल्पलाइन ने जांच के बाद उसे प्रताड़ित किये जाने की पुष्टि करते हुए वहां से मुक्त कराने का निर्देश दिया था, लेकिन बार-बार आग्रह के बावजूद जब औराई पुलिस ने इस मामले में कोई रुचि नहीं दिखायी तो पीड़ित परिवार ने पूर्वी डीएसपी मुत्तफिक अहमद से गुहार लगायी. जब डीएसपी ने फटकार लगायी तो औराई पुलिस ने पीड़िता को उसके ससुराल से मुक्त करवा कर परिजनों के हवाले कर दिया.
तीन वर्ष पूर्व बेटी को दिया था जन्म : सीतामढ़ी के धोबहां गांव की बबीता की शादी 29 फरवरी 2012 को औराई के नयागांव निवासी इंद्रजीत कुमार शाही से हुई थी. शादी के एक वर्ष बाद बबीता ने जनवरी 2013 में पुत्री को जन्म दिया. पुत्री को जन्म देने के बाद उसके पति इंद्रजीत, ससुर राम दिनेश शाही, सास शीला शाही, ननद और ननदोई उसे प्रताड़ित करने लगे. उन लोगाें ने नवजात पुत्री के नाम पर शहर में दस धूर जमीन और पांच लाख रुपये मैके से लाने का फरमान सुना दिया. जब उसके परिजनों ने असमर्थता जतायी तो ससुरालवालों ने बबीता को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया.
प्रताड़ना की शिकायत की तो किया नजरबंद : दो साल से प्रताड़ना सह रही बबीता की सब्र उस समय टूट गया, जब उसके साथ उसकी दुधमुंही बच्ची का भी खाना-पानी बंद कर दिया गया. 23 मार्च 2016 को उसने अपने पिता रामकिशोर मिश्रा को इसकी जानकारी दी तो पति इंद्रजीत ने मायके से मिले उसके मोबाइल को छीन कर तोड़ दिया.
उसका हाल-चाल लेने गये परिजनों को शहर में जमीन और पांच लाख रुपये देने के बाद ही बेटी से मिलने देने का फरमान सुना वहां से भगा दिया गया. परिजनाें ने प्रताड़ित हो रही बबिता से मिलने और अपने घर ले जाने का कई बार प्रयास किया. पंचायत से लेकर आरजू-मिन्नत की, लेकिन इंद्रजीत व उसके परिजन अपने जिद पर अड़े रहे.
औराई पुलिस ने भी नहीं की कोई कार्रवाई : महिला हेल्पलाइन की जांच के बाद आक्रोशित ससुरालवाले बबीता को और अधिक प्रताड़ित करने लगे. जानकारी होने पर रामकिशोर मिश्र ने 21 अगस्त को औराई थाने पहुंच उसको मुक्त कराने के लिए आवेदन दिया. आवेदन पर कार्रवाई करने के बजाय औराई थानाध्यक्ष जंगो राम ने इसकी जानकारी इंद्रजीत कुमार शाही हो दे दी. इसके बाद उसकी प्रताड़ित और बढ़ गयी.
थानाध्यक्ष रामकिशोर को चार दिनों तक थाने पर बुलाकर टरका देतेे थे. इसके बाद रामकिशोर मिश्र ने पूर्वी डीएसपी मुत्तफिक अहमद से ससुराल में नजरबंद बेटी को मुक्त कराने का आग्रह किया. डीएसपी ने औराई पुलिस को बबीता को मुक्त कराने का निर्देश दिया.
डीएसपी के निर्देश के बाद पुलिस हरकत में आयी और उसे मुक्त कराया जा सका.
बबीता के पिता व भाई पर दर्ज करा चुका है मामला
प्रताड़ना की शिकायत करने पर बौखलाये इंद्रजीत और उसके परिजनों ने बबीता का तो खाना-पानी बंद कर नजरबंद कर ही दिया, उसके पिता रामकिशोर व दोनों भाइयों के विरुद्ध 14 जून को औराई थाने में मारपीट की प्राथमिकी दर्ज करा दी. गौरतलब है कि 13 जून को सीतामढ़ी महिला हेल्प लाइन ने इंद्रजीत व उसके पिता राम दिनेश को परामर्श के लिए बुलाया था. महिला हेल्पलाइन के सामने पोल खुलने के बाद उसने औराई थाने में बबीता के परिजनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था.
इतना ही नहीं, मुजफ्फरपुर महिला हेल्पलाइन ने जब सुनवाई के लिए इंद्रजीत व उसके परिजनों को 17 अगस्त को बुलाया तो यहां नगर थाने में भी उसके परिजनों पर मारपीट का मुकदमा दर्ज करवा उन्हें जेल भिजवाने की धमकी दी.
औराई के नयागांव का मामला
नवजात पुत्री के नाम पर शहर में दस धूर जमीन व पांच लाख रुपये मांगे
पुत्री को जन्म देने पर ससुराल में तीन वर्षों से प्रताड़ित हो रही थी बबlता
मांग पूरी नहीं करने पर मायके वालों से बातचीत की भी नहीं थी अनुमति
महिला हेल्पलाइन के निर्देश पर भी औराई पुलिस ने नहीं की कार्रवाई
परिजनों की गुहार के बाद पूर्वी डीएसपी के पहल पर मुक्त हुई