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राजनीति में विचारों पर भारी पड़ रहा व्यक्तिवाद

मुजफ्फरपुर : देश में राजनीति की दिशा बदल रही है. इसमें अपनापन कम हुआ है. पहले अलग विचारधारा के बाद भी राजनीतिज्ञों में अपनापन था. आज जो परिवर्तन आया है, वह सामाजिक नहीं है. समाजवाद व लोहिया आज भी प्रासंगिक हैं. जब राजनीति में विचार कम चले और व्यक्ति ज्यादा तो समझिए खतरनाक मोड़ आ […]

मुजफ्फरपुर : देश में राजनीति की दिशा बदल रही है. इसमें अपनापन कम हुआ है. पहले अलग विचारधारा के बाद भी राजनीतिज्ञों में अपनापन था. आज जो परिवर्तन आया है, वह सामाजिक नहीं है. समाजवाद व लोहिया आज भी प्रासंगिक हैं. जब राजनीति में विचार कम चले और व्यक्ति ज्यादा तो समझिए खतरनाक मोड़ आ गया है. जो व्यक्ति विचारों पर भारी पड़े, वह आगे चल कर तानाशाह हो जाता है. यह कहना है बिहार के वित्तमंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी का. वे शुक्रवार को रामदयालु सिंह महाविद्यालय के कला भवन में आयोजित पूर्व विधायक प्रो अरुण कुमार सिन्हा की प्रथम पुण्यतिथि पर आयोजित व्याख्यानमाला में बोल रहे थे.

वित्त मंत्री श्री सिद्दीकी ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है. जो लोकतंत्र पर कुठाराघात करेगा, उसका विरोध जरूरी है. उन्होंने जेपी आंदोलन की चर्चा करते हुए कहा कि आज के दौर में सामूहिकता की कमी है. आज के युवाओं के लिए संघर्ष का रास्ता फेसबुक और ट्वीटर है.

जेपी आंदोलन की चर्चा करते हुए ही उन्होंने प्रो अरुण कुमार सिन्हा के व्यक्तित्व व कृतित्व बताते हुए अपने साथ आत्मीयता के तार भी जोड़े. उस समय मुजफ्फरपुर से आंदोलन में साथ रहे सेनानियों का नाम भी गिनाया. उन्होंने कहा कि कभी अरुण बाबू ने खुद को विशिष्ट नहीं समझा. 74 के आंदोलन में अग्रणी पंक्ति में थे. विकट परिस्थितियों के बीच भी उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कुराहट बनी रहती थी. बड़े राजनीतिक घराने से होने के बावजूद उन्होंने काफी संघर्ष किया.


मौजूदा शिक्षा व्यवस्था का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि शिक्षा का ह्रास हुआ है. इसके लिए बड़े घराने, सरकार, पदाधिकारी व इलीट क्लास जिम्मेदार है. शिक्षा आज बड़ा कारोबार बन चुका है. सरकारी शिक्षा के खिलाफ बरसों पहले से आवाज उठायी जा रही है कि सरकारी शिक्षा व्यवस्था चौपट हो रही है. सरकार उस स्थिति को समझ नहीं पायी, नतीजा आज व्यवस्था बिगड़ने लगी है. अब शिक्षा के क्षेत्र में बड़े घराने आ गये हैं. इलीट क्लास की सोच बदली है. बच्चों को इस सोच से स्कूल में दाखिला नहीं दिलाते कि वह अच्छी पढ़ाई करे, बल्कि स्टेटस दिखाने के लिए नामी प्राइवेट स्कूलों में दाखिला कराया जाता है.

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