टीम शहर में तीन दिनों तक रहेगी. जांच के बाद डीएम से मिल कर अधिकारी जेइ की समीक्षा करेंगे. उसके बाद पटना में स्वास्थ्य विभाग के कार्यकारी निदेशक के साथ बैठक होगी. शहर पहुंचे जांच टीम के अधिकारी इस बात से हैरत में थे कि जेइ का प्रकोप हमेशा मॉनसून के बाद होता है. मुजफ्फरपुर में मॉनसून से पहले बच्चों को यह बीमारी कैसे हुई. इसके अलावा अब तक जेइ से बचे रहने वाले जिले में यह प्रकोप कैसे फैला. दिल्ली से आयी टीम के दूसरे सदस्य एपेडेमिक इंटेलीजेंस अधिकारी डॉ जनार्दन नायक ने एसकेएमसीएच में जांच लैब का जायजा लिया.
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केंद्रीय टीम ने शुरू की जेइ की जांच
मुजफ्फरपुर: जेइ से पीड़ित बच्चों की जांच स्वास्थ्य विभाग की केंद्रीय टीम ने शुरू कर दी है. नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल इकाई व केंद्रीय वेक्टर बोर्न डिजीज इकाई के अधिकारियों ने शुक्रवार को शहर पहुंच कर सबसे पहले जेइ पीड़ित बच्चों के रहन-सहन, खान-पान व परिवेश का जायजा लिया. उसके बाद पीड़ित बच्चों का […]
मुजफ्फरपुर: जेइ से पीड़ित बच्चों की जांच स्वास्थ्य विभाग की केंद्रीय टीम ने शुरू कर दी है. नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल इकाई व केंद्रीय वेक्टर बोर्न डिजीज इकाई के अधिकारियों ने शुक्रवार को शहर पहुंच कर सबसे पहले जेइ पीड़ित बच्चों के रहन-सहन, खान-पान व परिवेश का जायजा लिया. उसके बाद पीड़ित बच्चों का ब्लड सैंपल लिया गया. टीम ने प्रभावित क्षेत्रों में सूअरों के ब्लड सैंपल के लिए सीएस से पशु डाॅक्टर उपलब्ध कराने को कहा है.
टीकाकरण हुआ या नहीं, संशय. टीम के अधिकारियों को इस बात की शंका थी कि जेइ से पीड़ित होने वाले बच्चे टीकाकरण से छूट तो नहीं. कहीं उनका कार्ड तो गलत नहीं बना है. उन्होंने गंगापुर में प्रभावित बच्चे सूरज का जेई टीकाकरण कार्ड भी देखा, लेकिन उससे वे संतुष्ट नहीं हो सके. टीम लैब की जांच से भी संतुष्ट नहीं है. टीकाकरण व लैब की रिपोर्ट के बारे में अभी कुछ कहना मुश्किल है.
बच्चों के ब्लड सैंपल की जांच सहित वे टीकाकरण की भी जांच करेंगे. उसके बाद वे अपनी रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सौपेंगे. अधिकारियों ने कहा कि अभी वे टीके की गुणवत्ता के संबंध में कुछ नहीं कह सकते. रिपोर्ट आने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है.
यहां आठ बच्चों को जेइ होने की सूचना है. इन बच्चों को जेइ कैसे हुआ, यह कहना मुश्किल है. बच्चों का जो टीकाकरण कार्ड बना है, उससे वे संतुष्ट नहीं है. इसकी जांच होगी. इसके अलावा लैब में बच्चों के ब्लड सैंपल की जांच से भी वे संतुष्ट नहीं है. कई बार ऐसा होता है कि जांच रिपोर्ट सही नहीं आती. पहले वे दोनों चीजों की जांच करेंगे. इसके अलावा प्रभावित गांवों में सूअर पालन का भी जायजा लिया जाएगा. उन्होंने एक पशु डॉक्टर की मांग की है. वे सूअर का ब्लड सैंपल का कलेक्शन करेंगे. एनसीडीसी में इसकी भी जांच होगी.
डॉ जनार्दन नायक
एपेडेमिक इंटेलीजेंस अधिकारी
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