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यूपी से लाकर जिले में बेची जा रही शराब

मुजफ्फरपुर: सरकार ने सूबे में पूर्ण शराबबंदी कर दी है. शराबबंदी के बाद शराब की दुकानों को सील कर दिया गया, लेकिन जिले में शराब उपलब्ध है. शहर से लेकर गांवों तक धंधेबाज देसी-विदेशी शराब की खेप चोरी-चुपके पहुंचा रहे हैं. यह खेप जिले की सीमा से सटे उत्तर प्रदेश से सरहद पार कर लायी […]

मुजफ्फरपुर: सरकार ने सूबे में पूर्ण शराबबंदी कर दी है. शराबबंदी के बाद शराब की दुकानों को सील कर दिया गया, लेकिन जिले में शराब उपलब्ध है. शहर से लेकर गांवों तक धंधेबाज देसी-विदेशी शराब की खेप चोरी-चुपके पहुंचा रहे हैं. यह खेप जिले की सीमा से सटे उत्तर प्रदेश से सरहद पार कर लायी जा रही है. यह अलग बात है कि पियक्कड़ों को सुगमता से शराब नहीं मिल रही है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि उनकी शराब पीने की चाहत पूरी नहीं हो रही. जिले में यूपी से लायी गयी शराब की बोतले बेची जा रही है.
शराब के लिये करना पड़ रहा अधिक खर्च
शराब के शौकीन लोगों को जहां पहले 180 एमएल की बोतल सस्ते में मिल जाती थी. वहीं पहले की अपेक्षा अधिक रकम खर्च करनी पड़ रही है. यूपी से लायी गयी शराब की कीमते दो गुणा अधिक हो गयी है. शराब माफिया शराब की 180 एमएल की बोतले 350 रुपये में बेच रहे है. जबकि 375 एमएल की बोतले सात सौ रुपये में बिक रही है. जबकि 750 एमएल की बोतलों को शराब माफिया 13 सौ से 14 सौ में बेच रहे है. हालांकि जिले की पुलिस व उत्पाद विभाग की टीम इसे रोकने के लिये एनएच पर बसों की चेकिंग करने का दावा कर रही है. लेकिन इस सक्रियता के दावे का असर धंधेबाजों पर नहीं दिख रहा. आलम यह है कि शराब की खेप पहुंच रही है.

एक जानकार की मानें तो शराब कारोबारी हर रोज शराब की खेप लाने के तरीके बदल रहे हैं. शराब की खेप वह ऐसी जगह पर उतारते है, जहां पुलिस व उत्पाद की टीम छापेमारी नहीं कर सकती है.

जानकार बताते है कि दूध के डिब्बों व सब्जी की टोकरियों में शराब की बोतलें रख यूपी से लायी जाती है और गांवों तक पहुंचायी जा रही हैं. इसके बाद इस खेप को शहर में लाकर इसकी ब्रिकी की जाती है. इस शराब की खेप के बारे में पुलिस को या तो इसका पता नहीं है या फिर जान-बूझ कर अनजान बनी रहती है.
शराब लाने के अजब-गजब तरीके
अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन आइएसआइएस ने कुछ ही दिन पहले बच्चों का वीडियो जारी किया था. इसमें वे कठोर शारीरिक ट्रेनिंग के साथ मशीन गन और रॉकेट लांचर छोड़ रहे थे. पाकिस्तान और अफगानिस्तान के आतंकी कैंपों में भी बच्चों को ट्रेनिंग दी जा रही है. ऐसे आतंकी संगठनों में एक एयूटी भी है, जो आइएस को भारत में कदम रखने में मदद कर रहा है.

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