मुजफ्फरपुर: आज राष्ट्रीयता के मुद्दे पर जिन सवालों की चर्चा हो रही है, उस पर विचार करने से ऐसा नहीं लगता है कि हम सुजलाम, सुफलाम, मलयज, शीतलाम मातृभूमि के प्रति कोई आस्था नहीं है. ये बातें समाजवादी चिंतक एवं लेखक सच्चिदानंद सिन्हा ने युवा संवाद बिहार व एलएस कॉलेज एनएसएस के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान बीआरए बिहार विवि के सीनेट हॉल में कहीं.
श्री सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रवाद के नाम पर जो उन्माद फैलाया जा रहा है, वह बेहद खतरनाक है. मनुष्य को इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. राष्ट्रवाद के नाम पर मानवता विद्वेष की भूमि तैयार की जा रही है, जो भविष्य के लिए चिंता का विषय है. हिंदी के प्रसिद्ध समालोचक व तिलका मांझी विवि के प्रो भगवान सिंह ने कहा कि युवाओं को बुराइयों से संघर्ष करना है. शिक्षक भी आजादी की बात सही नहीं बोलते. आजादी की लड़ाई किसानों के लिए लड़ी गयी, लेकिन आज भी किसानों की हालत सबसे दयनीय है. क्रिकेट खिलाड़ी को भारत रत्नसे नवाजा गया, लेकिन आज तक किसी भी किसान को भारत रत्न नहीं दिया गया. ऐसे मुद्दों को युवाओं को उठाना चाहिए.
एलएस कॉलेज के इतिहास विभाग के प्रो गजेंद्र कुमार ने कहा कि इतिहास का प्रयोजन विगत की गलतियों का विश्लेषण करते हुए जो कमियां रह गयी हैं, उससे सबक सिखाना है. यह गलत समझ है कि इतिहास सिर्फ राजा महराजाओं की कथा से जुड़ी हाेती है. कार्यक्रम को डॉ रमेश ऋतंभर, डॉ प्रमोद कुमार, डॉ शत्रुघ्न झा ने संबोधित किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो विजय कुमार जायसवाल ने की. इस दौरान अशोक भरत, प्रो जयकांत सिंह जय, राम बाबू, अनुराधा, आकांक्षा, माधुरी, साजिया प्रवीण, अवधेश कुमार आदि मौजूद रहे. कार्यक्रम का संचालन रणजीत कुमार व धन्यवाद ज्ञापन अशोक भरत ने किया.