Advertisement
फैसला:पति-पत्नी, बच्चे, मां समेत छह की हुई थी निर्मम हत्या, खबड़ा सामूहिक हत्याकांड में एक को फांसी की सजा
चर्चित खबड़ा हत्याकांड का फैसला आ गया है. इसमें एक दोषी को फांसी की सजा सुनायी गयी है. कोर्ट ने सजा पर सुनवाई करते हुए इस हत्याकांड को रेयरेस्ट ऑफ रेयर माना और उसी के आधार पर दोषी को फांसी की सजा सुनायी है, जबकि फरार दो अिभयुक्तों पर अलग से मुकदमा चलाने का आदेश […]
चर्चित खबड़ा हत्याकांड का फैसला आ गया है. इसमें एक दोषी को फांसी की सजा सुनायी गयी है. कोर्ट ने सजा पर सुनवाई करते हुए इस हत्याकांड को रेयरेस्ट ऑफ रेयर माना और उसी के आधार पर दोषी को फांसी की सजा सुनायी है, जबकि फरार दो अिभयुक्तों पर अलग से मुकदमा चलाने का आदेश दियाहै. फैसले के समय पीिड़त पक्ष की ओर से कोर्ट में कोई मौजूद नहीं था, जबकि बचाव पक्ष फैसले से असंतुष्ट दिखा. उसने इसके खिलाफ हाइकोर्ट में अपील करने की बात कही है.
मुजफ्फरपुर: 2010 के खबड़ा सामूहिक हत्याकांड में एक दोषी को फांसी की सजा सुनायी गयी है. फैसला एडीजे-सप्तम पद्मा कुमारी चौबे की कोर्ट ने सुनाया. फांसी के साथ 20 हजार के अर्थदंड का आदेश भी कोर्ट ने दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में दोषी को तब तक फांसी पर लटकाने को कहा है, जब तक कि उसकी मौत नहीं हो जाये. कोर्ट के फैसले के खिलाफ दोषी के वकील ने हाइकोर्ट में जाने की बात कही है. तीन जुलाई 2010 की रात खबड़ा में अभियंत्रण शखा के कर्मचारी कुमार परिवेश, उनकी पत्नी, बेटे और मां समेत छह लोगों की नृशंस हत्या कर दी गयी थी.
माना जा रहा है कि लूटपाट को लेकर इस नृशंस हत्याकांड को अंजाम दिया गया था. सजा पानेवाला अभिजीत भागलपुर के बिहपुर का रहने वाला है. मामले में जमानत पर न्यायिक हिरासत से रिहा हुए दो आरोपित फरार चल रहे हैं. कोर्ट ने फरार अभियुक्तों के खिलाफ अलग से ट्रायल चलाने का फैसला लिया है. कोर्ट ने पुलिस को फरार अभियुक्तों की गिरफ्तारी का आदेश दिया है. फरार रणधीर व धीरज सिंह सगे भाई हैं. बाढ़ जिला के रहने वाले हैं. सजा सुनाये जाने के समय पीड़ित परिवार का कोई सदस्य कोर्ट में मौजूद नहीं था. परिवेश विवि की इंजीनियर शाखा में क्लर्क का काम करता था. उसे अपने पिता की जगह पर नौकरी मिली थी, जो एलएस कॉलेज में प्रोफेसर थे, जिनका नाम देवेंद्र नाथ ठाकुर था.
बचाव पक्ष के वकील प्रियरंजन उर्फ अन्नु ने कहा कि हम सजा से संतुष्ट नहीं है. हम इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे. इसके लिए मेरे पास तीस दिन का समय है. इसी बीच अपील की जायेगी. उन्होंने कहा कि मामले में आइ विटनेस नहीं है. जिस गवाह ने दोषी को पहचाना था. उसका भी बयान बदलता रहा है. कोर्ट ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य व दोषी अभिजीत के स्वीकारोक्ति बयान को सजा का आधार बनाया है.
एडीजे-सप्तम की कोर्ट का फैसला
मृत्यु तक दोषी को फांसी पर लटकाने का आदेश
20 हजार रुपये का अर्थदंड भी कोर्ट ने लगाया
एक परिवार के चार लोगों समेत छह की हुई थी हत्या
दो फरार अभियुक्तों पर अलग से चलेगा ट्रायल
कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट में करेंगे अपील
अभिजीत के वकील ने फैसला सुनने को बाद कहा
फैसले के समय पीड़ित पक्ष का कोई नहीं था मौजूद
विवि की इंजीनियरिंग शाखा में काम करते थे अभिजीत
कम दी जाये सजा
कोर्ट में सजा के बिंदु पर बहस के दौरान बचाव पक्ष के वकील प्रियरंजन उर्फ अन्नु ने अभिजीत को कम सजा देने की मांग की. उनका तर्क था कि अभिजीत का कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा है. उसने पहली गलती है. इसके साथ ही वो नौजवान है. इन सबको ध्यान रखते हुये सजा सुनायी जाये.
दी जाये फांसी
बहस के दौरान अपर लोक अभियोजक कृष्ण देव साह ने अभिजीत को फांसी की सजा दिये जाने की मांग की. उनका कहना था कि अभिजीत छह लोगों के निर्मम हत्याकांड में दोषी है. इसकी वजह से एक पूरा परिवार तहस-नहस हो गया. ये किसी तरह के रहम का अधिकारी नहीं है.
कोर्ट ने माना रेयरेस्ट ऑफ रेयर
कोर्ट ने सजा सुनाते हुये मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर माना और कहा कि जिस तरह से घटना को अंजाम दिया गया. उसमें पति पत्नी, बच्चों की हत्या की गयी. साक्ष्य को मिटाने के लिए कारपेंटर व नौकर की हत्या की गयी. वो बहुत ही जघन्य था. डकैती के क्रम में इन लोगों की हत्या अभियुक्त अभिजीत ने अपने साथियों के साथ मिल कर की है.
दो दर्जन ने दी गवाही
सामूहिक हत्याकांड में पांच साल आठ महीने में फैसला आया है. कोर्ट में ट्रायल के दौरान दो दर्जन लोगों ने गवाही दी. बचाव पक्ष के वकील प्रियरंजन उर्फ अन्नू का कहना है कि कोर्ट ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर फैसला दिया है. साक्ष्यों के आधार पर नहीं.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement