मुजफ्फरपुर: ठंड का मौसम शुरू होते ही जाली नोटों की तस्करी बढ़ गयी है. डीआरआइ ने एक पखवाड़े के अंदर नकली नोटों की दो बड़ी खेप पकड़ने में सफलता पायी है. 28 नवंबर को डीआरआइ ने एक लाख से अधिक नकली नोट के साथ पश्चिम चंपारण के नाबालिग विनोद कुमार को पकड़ा था. वह बस से नोट लेकर बेतिया जा रहा था. पूछताछ में उसके बांगलादेश कनेक्शन के खुलासे के बाद डीआरआइ अधिकारियों के कान खड़े हो गये थे. बताया जाता है कि जाली नोट से जुड़े धंधेबाजों ने तस्करी का तरीका भी बदल दिया है.
पूर्व में नोट तस्करी में महिला का भी सहारा लिया गया था, लेकिन पहली बार मात्र 14 साल का नाबालिग एक लाख 6 हजार रुपये के नकली नोट के साथ पकड़ा गया. डीआरआइ अधिकारियों का कहना था कि प्रत्येक साल ठंड की शुरुआत होते ही तस्कर सक्रिय हो जाते है.
गुप्त सूचना मिली थी कि बांगलादेश से एक किशोर नकली नोट का खेप लेकर चला है. सूचना मिलते ही चकिया के पास जाल बिछा कर सिलीगुड़ी से आने वाली बस ऐटिआना सर्विस की बस से विनोद को पकड़ा गया था. उसने काफी चालाकी भी बरती, लेकिन पकड़ा गया. उसने बताया कि वह बेतिया से पूर्णिया गया था. वहां से दालकोला होते हुए ट्रेन से मालदह गया. मालदह से वह अपने एक साथी के साथ बांगलादेश गया था.
नोट लेकर फिर से इसी रास्ते से वापस लौट रहा था, लेकिन डीआरआइ के हत्थे चढ़ गया. दिसंबर 2012 में भी डीआरआइ ने भगवानपुर चौक से चार लाख रुपये के नकली नोटों के साथ पूर्वी चंपारण के मराही बाजार निवासी गणोश सहनी को पकड़ा था. उसने बताया था कि नकली नोटों के कारोबार का मुख्य श्रोत पाकिस्तान है. वहां से नकली नोटों की खेप कूरियर के माध्यम से पहले बांग्लादेश व फिर भारतीय बाजार में भेजा जाता है. मोतिहारी को नोट तस्करों ने मुख्य वितरण सेंटर बना रखा है. 26 जुलाई 2012 को भी कल्याणी चौक स्थित एक कुरियर सेंटर से 24.5 लाख रुपये के नकली नोट बरामद किये थे. इस मामले में पूर्वी चंपारण के ही हीरामणि प्राथमिक स्कूल के शिक्षक मसरू र अहमद उर्फ मास्टर व सूरज को गिरफ्तार किया गया था. बैंकॉक (थाइलैंड) से होम थियेटर सिस्टम में डालकर भेजा गया था. 21 दिसंबर 2011 को सियालदह (कोलकाता) में 20.5 लाख रुपये नकली नोट बरामद किये गये थे.