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29.25 करोड़ के साइबर फ्रॉड में आरएम ने दी गवाही

29.25 करोड़ के साइबर फ्रॉड में आरएम ने दी गवाही फोटो : माधव 76, 77, 78, तीनों फोटो जोड़कर लगाये. ———————- एसबीआइ एडीबी गोबरसही शाखा के सिस्टम को हैक कर धनबाद से यूपी भेजी गयी थी राशि- बीसीसीएल के धनबाद एसबीआइ खाते से 29.25 करोड़ हुआ था ट्रांसफर- यूपी के मोदीनगर स्थित पीएनबी शाखा में […]

29.25 करोड़ के साइबर फ्रॉड में आरएम ने दी गवाही फोटो : माधव 76, 77, 78, तीनों फोटो जोड़कर लगाये. ———————- एसबीआइ एडीबी गोबरसही शाखा के सिस्टम को हैक कर धनबाद से यूपी भेजी गयी थी राशि- बीसीसीएल के धनबाद एसबीआइ खाते से 29.25 करोड़ हुआ था ट्रांसफर- यूपी के मोदीनगर स्थित पीएनबी शाखा में नेशनल फारमर्स कोऑपरेटिव लिमिटेडके खाते में गयी थी राशि- बैंक कर्मियों की तत्परता से बचा ली गयी थी पूरी राशि संवाददाता, मुजफ्फरपुरएसबीआइ की गोबरसही स्थित एडीबी शाखा में 25 नवंबर 2011 को 29.25 करोड़ के साइबर फ्रॉड मामले में सीबीआइ के न्यायालय में मंगलवार को एसबीआइ के तत्कालीन आरएम प्रभात कुमार मिश्रा ने विशेष न्यायिक दंडाधिकारी समरेंद्र गांधी के समक्ष अपनी गवाही दी. प्रभात कुमार मिश्रा वर्तमान में शिमला में डीजीएम के पद पर कार्यरत हैं. गवाही के बाद जेल में बंद नीतीन राज वर्मा के अधिवक्ता ने आंशिक प्रति परीक्षण किया. इसके बाद न्यायालय ने सुनवाई के लिए 28 जनवरी की तिथि निर्धारित की. गवाही में प्रभात कुमार मिश्रा ने बताया कि वह 2011 में मुजफ्फरपुर एसबीआइ के रीजनल मैनेजर के पद पर कार्यरत थे. इस दौरान इनके अधीन रीजन की 50 शाखाएं कार्यरत थी. 26 नवंबर 2011 को एसबीआइ धनबाद शाखा ने सूचना दी कि बीसीसीएल के खाते से करीब 30.25 करोड़ राशि का ट्रांसफर यूपी के मोदीनगर स्थित पीएनबी शाखा में हुआ. यह ट्रांजेक्शन मुजफ्फरपुर के गोबरसही स्थित एडीबी शाखा से किया गया. जब इसकी जांच की गयी तो पता चला कि 29.25 करोड़ रुपये दो ट्रांजेक्शन (15.75 करोड़ व 13.5 करोड़) के तहत पीएनबी मोदीनगर शाखा में नेशनल फारमर्स कोऑपरेटिव लिमिटेड के खाते में हुआ. इसके बाद पीएनबी मोदीनगर शाखा में पैसे पर रोक लगाते हुए इस राशि को वापस बीसीसीएल के खाते में वापस करने का आग्रह किया गया. जांच के बाद तत्कालीन डीजीएम के निर्देशानुसार पटना सीबीआइ में लिखित आवेदन देकर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. इस मामले में एडीबी गोबरसही शाखा के दो कर्मचारी एसएस मिश्रा व सुमन कुमार के आइडी का इस्तेमाल किया गया था. दोनों कर्मी ने इसमें शामिल होने से इनकार किया, लेकिन जांच में मामला सही पाया गया तो एसएस मिश्रा को रिमूव किया गया तथा सुमन कुमार का दो इंक्रीमेंट काटा गया. नीतीन कुमार के अधिवक्ता ने प्रति परीक्षण के दौरा पूछा कि आरटीजीएस किस तिथि को कितने बजे की गयी, तो उनका जवाब था कि मुझे याद नहीं.

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