मुजफ्फरपुर: जिला परिषद में दुकान आवंटन में किस कदर गोलमाल हुआ, इसकी एक और बानगी सामने आयी है. लाभुक को दुकान 2013 में मिला,लेकिन किराया के लिए जिप ने चक्रवृद्धि ब्याज दर से 2005 से ही नोटिस थमा दिया. मामला जूरन छपरा स्थित जिला परिषद के मार्केट के दुकान संख्या सात के आवंटन का है.
ये है मामला . दुकान का आवंटन बालूघाट निवासी अमृता कुमारी पिता शत्रुघ्न ठाकुर के नाम से हुआ था. दुकान के निर्माण के लिए लाभुक ने 2002 में 90 हजार राशि जिला परिषद में जमा करायी थी जिसकी रसीद संख्या 003 है. लेकिन दुकान को हैंडओवर करने के नाम पर जिप के जिला अभियंता लाभुक को दौड़ाते रहे. अमृता को आठ वर्ष बाद 2013 में बिना लिखित आदेश के दुकान सौंपा गया. यही नहीं, दुकान सौंपने के कुछ ही दिन बाद लाभुक को दो लाख 25 हजार के किराये का नोटिस भी थमा दिया. अमृता के पिता शत्रुघ्न ठाकुर ने डीडीसी को आवेदन देकर शिकायत कि है कि दुकान देने को लेकर उन्हें हमेशा अंधकार में रखा गया. एप्रुव्ड दुकान का नक्शा भी उपलब्ध कराया गया. जिला अभियंता से पूछने पर हमेशा टालमटोल करते रहे. काफी पत्राचार व दौड़-धूप के बाद 2013 में मुझे दुकान मिली.
दुकान सौंपने के आठ साल पहले से किराया
अमृता के पिता ने डीडीसी को दिये आवेदन में बताया है कि 25 मार्च 2013 को सीमेंट की दुकान खाली कराकर बिना किसी लिखित आदेश पर जिप अभियंता ने मुझे दुकान सौंपा. लेकिन दुकान का किराया आठ साल पहले 2005 से ही चक्रवृद्धि ब्याज से जोड़कर दो लाख पच्चीस हजार जमा करने का नोटिस दे दिया गया है. इसकी शिकायत पूर्व के डीडीसी से भी कर चूका हूं. इस पर उन्होंने संज्ञान लेते हुए उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया था. लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद फिर से परेशान किया जा रहा है.
दुकान में था सीमेंट का गोदाम
जिला परिषद ने जो दुकान अमृता के नाम से आवंटन किया था, उसमें सीमेंट का गोदाम था. अमृता के पिता का आरोप है कि साजिश के तहत उनके पुत्री के नाम पर एलॉटेड दुकान को अवैध तरीके से अपने कब्जे में कर लिया. दुकान का ताला तोड़कर सीमेंट का गोदाम बना गया था. इसकी प्राथमिकी वे 5 दिसंबर 2014 को ब्रह्मपुरा थाने में करवा चुके हैं.