मुजफ्फरपुर: सामाजिक, आर्थिक व जाति आधारित गणना का प्रकाशन मंगलवार को कर दिया गया. प्रारूप प्रकाशन में 69 इबी (करीब नौ हजार परिवार) को बेचिरागी घोषित कर दिया गया है. मतलब इतने परिवार के मकान तो हैं, लेकिन उसमें रहने वाला कोई नहीं है. यह सभी मकान गणना के दौरान बंद पाये गये हैं. इसका कोई वारिस नहीं होने की बात कही गयी है. हालांकि, दावा आपत्ति के बाद अंतिम सूची प्रकाशन के बाद ही असलियत सामने आयेगी. इतनी बड़ी संख्या में बे-चिरागी परिवार का होना जनगणना पर भी संदेह खड़ा करता है.
प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक जनगणना में नाम-पता व अन्य सूचनाओं में गड़बड़ी है. इसका कारण बिना लोगों के घर पहुंचे ही जनगणना किया जाना बताया जा रहा है. नौकरी पेशा वाले लोगों के किसान व बेरोजगारों का सूची में नाम होने की बात बतायी जा रही है. पक्के मकान वाले को कच्च व बिना मकान वाले को मकान दरशाया गया है.
इधर अंतिम प्रारूप प्रकाशन का समय कम रहने से दावा-आपत्ति के तौर-तरीके पर फिर से विचार-विमर्श चल रहा है. इसके लिए घर-घर प्रपत्र उपलब्ध कराने के बजाय पंचायत स्तर पर कैंप लगाने की बात हो रही है. हालांकि इस संबंध में अंतिम निर्णय लिया गया है.
समिति व कोषांग का गठन : डीएम अनुपम कुमार ने सामाजिक व आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना कार्य के समय सीमा के अंदर निष्पादन के लिए वरीय अधिकारियों के अध्यक्षता में समिति व कोषांग का गठन किया है. प्रचार समिति, लॉजिस्टिक समिति, अनुश्रवण समिति व जिला स्तर कोषांग के गठन के अलग-अलग कार्य की जिम्मेवारी दी गयी है. मंगलवार से ही प्रचार समिति ने कार्य करना प्रारंभ कर दिया गया है.