गेहूं में करें दूसरी सिंचाई, यूरिया का करें प्रयोग खेती-किसानीनमी होने से पौधे बनायेंगे अपना पर्याप्त भोजन40 से 45 दिनों के पौधों में पानी की अधिक जरूरत वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर मौसम में आयी बेसमय गरमी से गेहूं की फसलों में दूसरी सिंचाई की जरूरत है. ऐसे पौधे, जिनकी आयु 40 से 45 दिनों की हो गयी है उन खेतों में सिंचाई यूरिया का उपरिवेशन करें. खेतों में नमी रहने से पौधे सभी सूक्ष्म पोषक तत्व आसानी से लेते हैं. अपना भोजन सही से बना पाते हैं. इसके साथ ही किसानों को मक्का पर ध्यान देने की जरूरत है. मक्का की फसल जो 50 से 55 दिनों की हो गयी हो, उसमें सिंचाई व यूरिया का उपरिवेशन कर मिट्टी चढ़ा दें. सब्जियों में निकाई–गुड़ाई व आवश्यकतानुसार सिंचाई करें. आलू में दस से 15 दिनों के अंतराल में सिंचाई काफी जरूरी है. नमी बने रहने से आलू के कंद का आकार सही होगा. किसान बरसीम व लूसर्न की कटाई 25 से 30 दिनों के अंतर पर करें. प्रत्येक कटनी के बाद सिंचाई करें. सिंचाई के बाद खेतों में यूरिया का छिड़काव करें. दूधारु पशुओं के रख-रखाव व खान पान पर विशेष ध्यान दें. पशुओं को रात में खुले स्थानों पर नहीं रखें. बिछावन के लिए सुखी घास या राख का उपयोग करें. सरसों में सफेद रतुआ (व्हाईट रस्ट) रोग की निगरानी करें. प्रकोप दिखाई दे तो क्लोरथालोंनील दवा एक ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर मौसम साफ रहने पर छिड़काव करें. मटर की फसल में चूर्णिल फफूंदी (पाउडरी मिल्डयु) रोग की निगरानी करें, जिसमें पत्तियों फलों व तनों पर सफेद चूर्ण दिखाई पड़ती है. इस रोग से बचाव के लिए फसल में कैराथेन दवा का एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या सल्फेक्स दवा का तीन ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें. मटर की फसल में अच्छे फलन के लिए दो प्रतिशत यूरिया के घोल का छिड़काव करें. चने, मटर व टमाटर की फसल में फली छेदक कीट के नियंत्रण के लिए फेरोमेन ट्रैप / 3–4 ट्रैप प्रति एकड़ की दर से लगायें. गेहूं में उगने वाले सभी प्रकार के खरपतवार के नियंत्रन के लिए बोआई के 30 से 35 दिनों बाद सल्फोसल्फयुरॉन 33 ग्राम प्रति हेक्टेयर व मेटसल्फयुरॉन 20 ग्राम प्रति हेक्टेयर दवा 500 लीटर पानी में मिलाकर खड़ी फसल में छिड़काव करें. ध्यान रहें छिड़काव के वक्त खेत में पर्याप्त नमी हो.
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गेहूं में करें दूसरी सिंचाई, यूरिया का करें प्रयोग
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