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नवरूणा कांड में कंकाल से हुई थी छेड़छाड़!

पटना के फॉरेंसिक लैब पर आरोप पटना/मुजफ्फरपुर : नवरूणा कांड का सच कभी सामने आ भी पायेगा. अब इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि मामले की जांच कर रही देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआइ का कहना है कि मामले की अहम कड़ी कंकाल के साथ छेड़छाड़ की गयी थी. सीबीआइ सूत्रों […]

पटना के फॉरेंसिक लैब पर आरोप
पटना/मुजफ्फरपुर : नवरूणा कांड का सच कभी सामने आ भी पायेगा. अब इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि मामले की जांच कर रही देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआइ का कहना है कि मामले की अहम कड़ी कंकाल के साथ छेड़छाड़ की गयी थी.
सीबीआइ सूत्रों का कहना है कि ऐसा जांच प्रक्रिया को बाधित करने के उद्देश्य से किया गया होगा. ये आरोप पटना के फॉरेंसिक लैब पर लगा है, जिसने कंकाल की जांच की थी, लेकिन लैब ने इससे इनकार किया है. उसका कहना है कि इस पर ज्यादा नहीं बोला जा सकता है,क्योंकि जांच सीबीआइ के हाथ में है.
जांच नहीं बढ़ रही आगे . 18 सितंबर 2012 की रात अगवा हुई नवरूणा का मामला शहर से लिए सबसे बड़ी मिस्ट्री बना हुआ है. एक समय ये कहा गया था कि नवरूणा की हत्या हो चुकी है. वो अब इस दुनिया में नहीं है. 26 नवंबर 2012 को ही नवरूणा के घर के सामने से मिले कंकाल को उसका माना गया था, लेकिन 2014 में मामले की जांच करनेवाली सीबीआइ ने जो सवाल उठाया है.
उससे मामला और उलझ गया है. सीबीआइ सूत्र कह रहे हैं कि बरामद कंकाल से पटना के फॉरेंसिक लैब में छेड़छाड़ की गयी है. ऐसे में जांच को आगे बढ़ाने में परेशानी हो रही है. क्योंकि वो पूरे मामले की फिर से कड़ियां जोड़ना चाहती है, लेकिन इसमें कंकाल को नुकसान पहुंचाने की वजह से बाधा आ रहा है.
जांच भटकाने का आरोप. बताया जाता है कि जांच आगे नहीं बढ़ने के कारण मामले की चार्जशीट भी लटकी हुई है. सीबीआइ सूत्रों के खुलासे के बाद कंकाल की जांच करनेवाले फॉरेंसिक लैब पर सीधे तौर पर गंभीर आरोप लगे हैं. नवरूणा के माता-पिता पहले से ही पुलिस व सीआइडी पर जांच को भटकाने का आरोप लगाते रहे हैं. इधर, सीबीआइ ने नवरूणा कांड में मुंबई के शीना वोहरा हत्याकांड का हवाला दिया है, जिसमें मामले को सुलझाने के लिए वहां की पुलिस ने चेहरे का पुनर्निमाण किया था, लेकिन नवरूणा मामले में सीबीआइ ऐसा नहीं कर पा रही है.
परिजन उठाते रहे हैं सवाल . नवरुणा के पिता अतुल्य चक्रवर्ती कंकाल मिलने के बाद से ही पुलिस के कार्यशैली पर सवाल उठाते रहे हैं. उन्होंने तो बरामद कंकाल को नवरूणा का मानने से ही इनकार कर दिया था. इसी कारण उन्होंने काफी दिनों तक डीएनए टेस्ट के लिए अपना ब्लड सैंपल नहीं दिया था.
वे पुलिस से कंकाल की डीएनए जांच की रिपोर्ट की मांग कर रहे थे. मानवाधिकार आयोग ने भी सात मई 2013 को सीआइडी के अधिकारियों को बरामद कंकाल का डीएनए टेस्ट रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था. सीआइडी अधिकारियों ने एक माह का समय मांगा, लेकिन अधिकारियों ने आयोग के अध्यक्ष को 15 जुलाई 2013 को मशीन खराब होने की रिपोर्ट देते हुए जांच रिपोर्ट देने से असमर्थता जतायी थी.
20 दिन में नहीं बनता कंकाल. अतुल्य चक्रवर्ती ने कहा कि 26 नवंबर 2012 को घर के बगल स्थित नाले से कंकाल मिला था.
उन्होंने चार जनवरी 2013 को न्यायालय में आवेदन देकर बरामद कंकाल के हुए फॉरेंसिक जांच की रिपोर्ट मांगी थी. पुलिस ने सीजेएम न्यायालय को बंद लिफाफे में एक रिपोर्ट सौंपी थी. न्यायालय ने अतुल्य चक्रवर्ती को जांच रिपोर्ट की जानकारी देते हुए बताया था कि बरामद कंकाल 13 से 15 साल के लड़की की बतायी गयी थी. रिपोर्ट में कंकाल मिलने से बीस दिन पूर्व हत्या होने की बात बतायी गयी थी. अतुल्य चक्रवर्ती ने बताया कि पीएमसीएच के एफएमटी विभाग में फॉरेंसिक जांच की व्यवस्था नहीं है. बीस दिनों में कोई भी शव कंकाल में नहीं बदल सकता है.
हम तो पहले से कह रहे.उन्होंने कहा कि इन्हीं सब कारणों से वे बरामद कंकाल को नवरूणा का होने से इंकार कर दिया था. यही कारण था कि वे डीएनए के लिए ब्लड सैंपल देने से पूर्व बार-बार कंकाल का डीएनए टेस्ट की मांग कर रहे थे, लेकिन उन्हें अभी तक कंकाल की डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट उपलब्ध नहीं करायी गयी है. उन्होंने कहा कि आज सीबीआई ने भी इस बात का खुलासा कर दिया है कि फॉरेंसिंक विभाग ने बरामद कंकाल को नष्ट करने का काम किया है. उन्होंने कहा कि वे नवरूणा कांड में पुलिस अधिकारियों व सफदेपोशों के शामिल होने की बात कहते आ रहे हैं.
नहीं मिली थी रिसीविंग
अतुल्य चक्रवर्ती ने कहा कि बरामद कंकाल में खोपड़ी नहीं थी. 25 मार्च 2014 को सीबीआइ एसकेएमसीएच में बरामद कंकाल को लेने आयी थी. कंकाल पुराने काठ के बक्से में रखा था. उसे सील भी नहीं किया गया था. बक्से में रखी हड्डी पेल्भिस (कमर के नीचे से ठेहुने तक) की थी, तब सीबीआइ के एसपी राजीव रंजन ने पुलिस पदाधिकारियों से कंकाल को जांच के बाद फॉरेंसिक लैब से प्राप्त करने की रिसीविंग दिखाने को कहा था, लेकिन पुलिस कोई कागज नहीं दिखा पायी थी. इस पर सीबीआइ ने आश्चर्य जताया था.
ले लिया था ब्लड सैंपल
नवरुणा के पिता अतुल्य चक्रवर्ती ने कहा कि पुलिस, सीआइडी व सीबीआइ से वे हड्डियों को दिखाने व इसकी डीएनए रिपोर्ट देने के बाद ही डीएनए के लिए ब्लड सैंपल देने की बात कहीं थी.
सीबीआइ ने भी हड्डी दिखाने व उसके डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट देने के बाद ही ब्लड सैंपल लेने का वायदा किया था, लेकिन 25 मार्च 2014 को बगैर बरामद हड्डियों का डीएनए रिपोर्ट दिखाये उनसे टेस्ट के लिए ब्लड सैंपल ले लिया. उन्होंने कहा कि वे पहले सेे ही बरामद कंकाल के नवरूणा का नहीं होने की बात कही थी.

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