मुजफ्फरपुर: एमआइटी जो साइंस टेक्नॉलोजी का संस्थान है, उसमें जाति की बात होना बहुत ही शर्मनाक है. यह कोई संस्कृत का कॉलेज नहीं है, जहां का पहनावा, रहन सहन परंपरागत होना चाहिए. दलित छात्र को जिस तरह से हॉस्टल से निकाला गया है, इसके लिए पूरी तरह कॉलेज प्रशासन जिम्मेदार है. लड़कों के हॉस्टल में ऐसी चीज देखने को मिलती थी, लेकिन गल्र्स हॉस्टल में मेरे संज्ञान में यह पहली घटना है. राज्य अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन विद्यानंद विकल ने मंगलवार को परिसदन में कॉलेज प्रशासन व पीड़िता के साथ बातचीत के दौरान ये कहा.
श्री विकल ने कहा, अगर कॉलेज प्रशासन चाहता तो यह बात यहां तक नहीं पहुंचती है. दोनों पक्षों से बातचीत के बाद जो बात सामने आयी है, उसमें पीड़िता की बात शत-प्रतिशत सच है. कॉलेज प्रशासन द्वारा आयोग को अश्वस्त किया गया है, दो से तीन दिनों में स्थिति सामान्य हो जायेगी. अगर दो तीन दिनों में कॉलेज प्रशासन द्वारा मामला नहीं सुलझता है तो आयोग इसकी खुद जांच करेगा. अब तक इस मामले में पुलिस की भूमिका सराहनीय है. खासकर के नगर डीएसपी उपेंद्र कुमार मामले में बेहतर कार्य कर रहे है.
छात्र ने आयोग के सामने हॉस्टल सुपरिटेंडेंट के उस ऑडियो को भी सुनाया, जो उन्होंने उससे बातचीत के दौरान कही थी. इस दौरान कॉलेज प्रशासन की ओर से प्राचार्य डॉ कुमार सुरेंद्र, चीफ वार्डेन डॉ सुरेंद्र कुमार, एस्टिटेंट प्रो डॉ पीसी गुप्ता, गल्र्स हॉस्टल सुपरीटेंडेंट प्रो आरती कुमारी, पीड़ित छात्र, नगर डीएसपी उपेंद्र कुमार, पूर्व एमएलसी गणोश भारती मौजूद थे.