एक वैन के पीछे ओपेन टैंकर में पानी लोड कर उसमें जिंदा मछली रखा जाता है. फिर पूर्व से तय समय व स्थान पर उस वैन को ले जाया जाता है. इस पद्धति में प्राकृतिक लाभ भी है. वैन के साथ पानी के हिलने-डुलने से उसमें घुले हुए ऑक्सीजन में कमी नहीं होती, जिससे मछलियों को अधिक ऑक्सीजन मिलता है और वे स्वस्थ रहते हैं. समारोह के आखिरी दिन प्रकाश माइकल, श्रुति कुमारी, स्वाति, गुरमित कौर, राम कुमार, जेपीएल दास, सुनील कुमार, स्मिता, पंकज कुमार, सुबोध कुमार, प्रवीण कुमार सिन्हा, शिशिर कुमार सहित अन्य लोगों ने अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया. सेमिनार की रिपोर्टिंग डॉ संगीता सिन्हा ने प्रस्तुत किया. वहीं जूलॉजी विभागाध्यक्ष व आयोजन अध्यक्ष डॉ श्रीनारायण प्रसाद सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
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बिहार में मछली पालन की असीम संभावना
मुजफ्फरपुर: बिहार में मछली पालन के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं, लेकिन यह तभी संभव है जब आधुनिक तकनीक के आधार पर बेहतर योजना तैयार की जाये. यह बातें बांग्लादेश के फिशरीज के एक्सपर्ट डॉ एकेएम नौशाद आलम ने कही. वे गुरुवार को विवि जूलॉजी विभाग में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के समापन समारोह को संबोधित […]
मुजफ्फरपुर: बिहार में मछली पालन के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं, लेकिन यह तभी संभव है जब आधुनिक तकनीक के आधार पर बेहतर योजना तैयार की जाये. यह बातें बांग्लादेश के फिशरीज के एक्सपर्ट डॉ एकेएम नौशाद आलम ने कही. वे गुरुवार को विवि जूलॉजी विभाग में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने बताया कि बांग्लादेश में मार्केटिंग के तहत मछलियों को लोगों तक पहुंचाया जाता है.
समापन समारोह में नहीं आये वीसी . कुलपति डॉ पंडित पलांडे के समापन समारोह में हिस्सा नहीं ले सके. वे दिनभर नियमितिकरण को लेकर अनशन पर बैठे कर्मचारियों को मनाने के लिए रणनीति बनाने में जुटे रहे. हालांकि शाम में वे दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की एडवाइजरी बोर्ड की बैठक में शामिल हुए.
नियम को ले पेच, नहीं हुआ एमओयू
समारोह के आखिरी दिन डॉ नौशाद आलम व जूलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ एसएनपी सिंह के बीच एमआेयू पर हस्ताक्षर होना था. इसके तहत विभाग के छात्रों को बांग्लादेश में जाकर मछली पालन के गुर सीखने का मौका मिलता. लेकिन मामला नियमों को लेकर फंस गया. डॉ एसएनपी सिंह ने बताया कि सार्क के नियमों के तहत दक्षिण एशिया में तीन देशों के बीच शैक्षणिक आदान-प्रदान के लिए समझौता होने पर संगठन फंड मुहैया कराती है. तीसरे देश के रूप में नेपाल के एक विवि से वार्ता की जायेगी. डॉ नौशाद आलम ने इसके लिए पहल का आश्वासन दिया है. अगले साल की शुरुआत में एमओयू पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है.
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