दवा दुकानों में जांच का कोरम पूरा कर रहा स्वास्थ्य विभागछापेमारी का यही हाल रहा तो पांच वर्षों में भी पूरी नहीं होगी जांचडीएम व सीएस को मिली शिकायतों का ही जांच टीम कर रही निष्पादनग्रामीण क्षेत्रों में नहीं हो रही जांच, जिले में अमानक दवाओं के खेल पर अंकुश नहींवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरअाठ दिनों में छह दवा दुकानों की जांच. यह रफ्तार है स्वास्थ्य विभाग की जांच की. यदि दुकानों की जांच इसी तरह होती रही तो जिले की दवा दुकानों की जांच में पांच वर्ष से अधिक समय लगेंगे. विभाग की टीम सभी दवा दुकानों की जांच नहीं कर रही है. दवा दुकानों के संबंध में डीएम व सीएस को मिलने वाली शिकायतों के आधार पर ही दुकानों में छापेमारी की जा रही है. जिले में हो रहा लूट का कारोबारजिले में कई दवा दुकानों में लूट का कारोबार हो रहा है.डॉक्टर के पुरजे पर सबस्टीच्यूट दवा कह कर अन ब्रांडेड दवा बेची जा रही है. इसकी गुणवत्ता के बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है. कई एंटीबायोटिक दवा के रैपर पर 500 एमजी छपा रहता है, लेकिन उसके अंदर दवा 300 एमजी की भी नहीं होती. दवाओं के सैंपल की रेगुलर जांच नहीं होने के कारण इसका मानक जांचने का कोई तरीका भी नहीं है. पिछले पांच वर्षों में स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण जिले में अमानक दवाओं का कारोबार फैला है. एक्सपायर व सरकारी दवा बेचने का चल रहा खेलजिले में एक्सपायर व सरकारी दवाओं के बेचने का भी जम कर खेल चल रहा है. नारकोटिक्स के तहत आने वाली बेहोशी की दवा भी खुलेआम बेची जा रही है. गोशाला रोड स्थित न्यू आजाद मेडिकल स्टोर में सरकारी, बेहोशी की दवा व एक्सपायर दवा मिलने से शहर में यह खेल उजागर हुआ है. शहर में यह हाल है तो ग्रामीण क्षेत्रों के बारे में कुछ कहना मुश्किल है. दवा दुकान में कैसे पहुंचीं सरकारी दवाएंदवा दुकानों में सरकारी दवा कैसे पहुंची, यह हैरत की बात है. नये सिस्टम के तहत अब दवा वितरण का आइटम के हिसाब से ऑन लाइन भरना है. पुरजा नंबर व मरीज का नाम भी लिखना है. ऐसी स्थिति में सरकारी दवा दुकान तक कैसे पहुंची. इसकी जांच में पदाधिकारी जुटे हैं. ड्रग इंस्पेक्टर ललन कुमार ने कहा कि प्रोपराइटर के गिरफ्तार होने के बाद ही पता चलेगा कि वे कहां से दवा लाते थे. वे सीएस को इसकी रिपोर्ट देंगे. सीएस डॉ ललिता सिंह ने कहा कि जिले में सरकारी दवा का बेचा जाना गंभीर मामला है. वे टीम गठन कर इस मामले की जांच करायेंगी.दूसरे के नाम पर चल रहीं दवा दुकानेंशहर में ऐसी कई दवा दुकानें हैं, जिनके पास खुद का लाइसेंस नहीं है. दूसरे के लाइसेंस पर दवा दुकानें चल रही हैं. इसके एवज में दुकान संचालक लाइसेंस धारक को महीने में निर्धारित रकम देते हैं. इन दुकानों में ब्रांडेड व बिल की कितनी दवाएं बेची जा रही हैं, इसका आंकड़ा विभाग के पास नहीं है. स्वास्थ्य विभाग के पास यह भी आंकड़ा नहीं है कि जिले में कितनी दवा दुकानें हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी दवा दुकानें कुकुरमुत्ता की तरह हैं. छापेमारी में और सख्ती करें : डीएमदवा दुकानों में छापेमारी के बाद भारी संख्या में सरकारी, एक्सपायरी दवा व फिजिशियन दवा का सैंपल मिलने से डीएम ने छापेमारी में तेजी लाने का निर्देश दिया है. उन्होंने शहरी क्षेत्रों में रोज आठ-नौ व ग्रामीण क्षेत्रों में भी आठ-नौ दवा दुकानों में छापेमारी करने को कहा है. उन्होंने छापेमारी के बाद दवा दुकानों की रिपोर्ट मांगी है.
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दवा दुकानों में जांच का कोरम पूरा कर रहा स्वास्थ्य विभाग
दवा दुकानों में जांच का कोरम पूरा कर रहा स्वास्थ्य विभागछापेमारी का यही हाल रहा तो पांच वर्षों में भी पूरी नहीं होगी जांचडीएम व सीएस को मिली शिकायतों का ही जांच टीम कर रही निष्पादनग्रामीण क्षेत्रों में नहीं हो रही जांच, जिले में अमानक दवाओं के खेल पर अंकुश नहींवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरअाठ दिनों में […]
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