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भीगी पलकों से भगवती सामा को दी गयी विदाई

भीगी पलकों से भगवती सामा को दी गयी विदाईशहर के कई पोखरों में प्रवाहित किये गये सामा चकवा वरीय संवाददता, मुजफ्फरपुर . भाई-बहन के अनूठे प्रेम का प्रतीक लोकपर्व सामा-चकेबा भगवती सामा की विदाई के साथ संपन्न हो गया. बहनों ने गीली पलकों से साहू पोखर, पड़ाव पोखर व तीनपोखिरया में प्रवाहित किया. भाई ने […]

भीगी पलकों से भगवती सामा को दी गयी विदाईशहर के कई पोखरों में प्रवाहित किये गये सामा चकवा वरीय संवाददता, मुजफ्फरपुर . भाई-बहन के अनूठे प्रेम का प्रतीक लोकपर्व सामा-चकेबा भगवती सामा की विदाई के साथ संपन्न हो गया. बहनों ने गीली पलकों से साहू पोखर, पड़ाव पोखर व तीनपोखिरया में प्रवाहित किया. भाई ने तैयार डोला पर रख उनकी प्रतिमा को जल में डूबोया. इसको लेकर घरों में चहल-पहल बनी रही. देर रात तक विदाई गीत के बोल वातावरण मेें घुलते रहे. बुधवार की सुबह से ही घरों में चहल-पहल बनी रही. सामा को विदा करने की तैयारी में बहनें जुटी रही. तैयारी पूरी करने के बाद शाम ढलते ही विदाई की तैयारी आरंभ हो गयी. भगवती सामा की प्रतिमा को नई साड्ी अर्पित की गयी. सारी के आंचल में खोंइछा दिया गया. इसके बाद उन्हें चूरा-दही, मिठाई आदि का भोग लगाया गया. इधर सुबह से भाई भी बहन की प्रतीक भगवती सामा की विदाई की तैयारी में लगे नजर आये. बांस की कमची से बनी टोकरी को रंग-बिरंगे कागज व कपड़ों से सजाया गया. इसके बाद इसमें सामा की मूर्ति रखी गयी. मूर्ति के सामने दीये जलाये गये. इसके बाद सिर पर डोला उठाया. बहनों की टोली भी साथ हो गयी. साम-चक, साम-चक अबिह हे, अबिह हे…गीत से पुन: आगमन का आशीष मांगा.

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