खूनी संघर्ष में सदा के लिए बुझ गया घर का चिराग – पांच साल की मासूम बच्ची के सिर से बाप का साया सदा के लिए उठ गया- घर के दरवाजे पर हर आने- जाने वाले के आंखें हो रही थीं नम – पिता के मौत के बाद घर की जिम्मेवारी उठा ली थी धर्मेंद्र ने कुमार दीपू, मुजफ्फरपुर कांटी के गांव में रैंक प्वाइंट को लेकर शनिवार को हुए खूनी संघर्ष में पांच साल की एक मासूम बच्ची के सिर से बाप का साया सदा के लिए उठ गया. गांव में शनिवार को सुबह 5.30 बजे अपने घर से टहलने के लिए निकले धर्मेंद्र कुमार राय को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि उसकी हत्या के लिये अपराधी घात लगाये बैठे हैं. इस हादसे ने एक मां और उसकी पांच साल की बेटी रिया राज व तीन साल का बेटा अंशु राज की दुनिया को ही पूरी तरह उजाड़ कर रख दिया. धर्मेंद्र अपने घर का सबसे बड़ा बेटा था. धर्मेंद्र की मौत से जहां उसकी पत्नी वीभा की मांग का सिंदूर सदा के लिए मिट गया, वहीं पांच साल की बेटी रिया राज व तीन साल के बेटा अंशु राज से पिता का साया सदा के लिए उठ गया.पिता के शव को एक टक निहार लगी थी रिया पोस्टमार्टम के बाद दोपहर 1.20 बजे घर पर धर्मेंद्र का शव घर पर पहुंचा तो दरवाजे पर कपड़े में लिपटे शव को पांच साल की रिया एक टक से निहार रही थी. बगल के काजल कुमारी की गोद में तीन साल का बेटा अंशु राज अपनी मां के गोद में जाने के लिये रो रहा था. शव के समीप धर्मेंद्र की पत्नी वीभा दहाड़ मार कर रो रही थी. 60 वर्षीय मां लाल मुन्नी देवी हर दो मिनट के बाद बेहोश हो रही थी. घर के दरवाजे पर हर आने-जाने वाले के आंखें नम हो रही थीं. घर पर जुटी महिलाओं को भी दोनों को ढांढस बढ़ाने का साहस नहीं हो पा रहा था. पिता के मौत के बाद धर्मेंद्र पर थी घर की जिम्मेवारी आठ साल पहले पिता राजद नेता ललितेश्वर प्रसाद यादव के मौत के बाद धर्मेंद्र ने ही घर की पूरी जिम्मेवारी उठा ली थी. उसने अपनी छोटी बहन ममता की शादी भी बड़ी धूमधाम से किया था. इसके बाद अपनी शादी वर्ष 2008 में की थी. धर्मेंद्र अपने छोटे भाई रवि रंजन को अपने साथ रैंक प्वाइंट के धंधे से दूर ही रखता था. उसे दूसरा बिजनेस करने के लिये प्लान कर रहा था. घर का बड़ा बेटा होने के कारण वह घर की पूरी जिम्मेदारी बखूबी निभाता था.
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खूनी संघर्ष में सदा के लिए बुझ गया घर का चिराग
खूनी संघर्ष में सदा के लिए बुझ गया घर का चिराग – पांच साल की मासूम बच्ची के सिर से बाप का साया सदा के लिए उठ गया- घर के दरवाजे पर हर आने- जाने वाले के आंखें हो रही थीं नम – पिता के मौत के बाद घर की जिम्मेवारी उठा ली थी धर्मेंद्र […]
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