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पौधें लगायें,ऑक्सीजन फैलायें, मनायें इकोफ्रेंडली दीवाली

पौधें लगायें,ऑक्सीजन फैलायें, मनायें इकोफ्रेंडली दीवाली प्रदूषण फैलाने नहीं मिटाने के लिए मनायें दीवाली दिल की बीमारी वाले व्यक्तियों को दें पर्याप्त सुरक्षाअपने साथ रखें आस पास के लोगों का ख्याल दीपावली में खुशियां बांटे, प्रदूषण और शोर नहीं वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरदीपावली में खुशियां बांटे. यह प्रकाश पर्व है. प्रदूषण और शोर बांटना ठीक नहीं […]

पौधें लगायें,ऑक्सीजन फैलायें, मनायें इकोफ्रेंडली दीवाली प्रदूषण फैलाने नहीं मिटाने के लिए मनायें दीवाली दिल की बीमारी वाले व्यक्तियों को दें पर्याप्त सुरक्षाअपने साथ रखें आस पास के लोगों का ख्याल दीपावली में खुशियां बांटे, प्रदूषण और शोर नहीं वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरदीपावली में खुशियां बांटे. यह प्रकाश पर्व है. प्रदूषण और शोर बांटना ठीक नहीं है. केरोसिन नहीं जलायें. उच्च ध्वनि का पटाखा नहीं फोड़े. क्योंकि आपके बगल में छोटे बच्चे हैं. बड़े बुजुर्ग हैं जिन्हें दिल की बीमारी है. इन्हें दर्द नहीं दें. दीपों के पर्व में बड़े बुजुर्गों को दर्द देना ठीक नहीं है. शहर के साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों ने युवा वर्ग से दीपावली को प्रदूषण मुक्त रखने की अपील की है. कहा, असल में दीवाली तभी आयेगी जब पर्यावरण से प्रदूषण समाप्त हो जायेगा. असल दीवाली तभी होगी जब यहां को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलेगा. हो सके तो दीवाली के दिन पौधा लगायें. यह लंबे समय तक सबके लिए वरदान साबित होगा. रसायन की शिक्षिका डॉ भावना बताती हैं कि पटाखों में विस्फोटक सामग्री का उपयोग किया जाता है. इसका धुआं पटाखा फोड़ने वालों के साथ-साथ और लोगों को भी परेशानी में डाल देता है. बड़ों का दायित्व बनता है कि अपने बच्चों को समझा बुझाकर प्रदूषण से उत्पन्न होने वाले बीमारियों के संबंध में बतायें. क्योंकि दीवाली खुशियां बांटने का पर्व है. साहित्यकार डॉ विजय शंकर मिश्र बताते हैं कि पटाखा फोड़ने से हर वर्ष देश का करोड़ों रुपये जलकर बरबाद हो जाता है. और मिलता क्या है तो प्रदूषण. ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण दोनों इंसानों को मिलता है. इससे उत्पन्न होने वाले प्रदूषण शरीर को रोगी बना देता है. इस दीवाली में पटाखे की जगह प्रकाश से वातावरण को जगमग बनायेंगे. समाजिक कार्यकर्ता डॉ अर्चना सिंह बताती हैं कि प्रदूषण फैलना हमारी संस्कृति बन रही है. प्रदूषण रोकने के लिए खुद के साथ- साथ और लोगों को प्रेरित करना होगा. साथ ही सरकार और प्रशासन को भी पटाखों पर अंकुश लगाने की जरूरत है. इससे बचने वाले रुपये को जरूरत मंद बच्चों को पढ़ाने में मदद करनी होगी. डॉ पंकज कर्ण बताते हैं कि जितका हम अपने स्तर पर कोशिश कर रोक सकते है, रोकेंगे. कम से कम अपने परिवार में तो पहल कर सकते हैं. क्योंकि इंसान को खुशी में प्रदूषण नहीं बांटेंगे. प्रदूषण से पूर्व सोचना होगा कि हमारी खुशियां हमसे छिन न जाय.डाॅ विजय कुमार बताते हैं कि अपनी जिम्मेवारी को समझते हुए दीवाली को प्रदूषण मुक्त बनाना होगा. हो सके तो दीवाली में पौधें लगायें. इको फ्रेंडली दीवाली पूजा, दीप, मिठाई और हमारी खुशियों से जुड़ा है.

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