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चुनाव व नेपाल संकट से व्यापारियों की हालत पस्त

चुनाव व नेपाल संकट से व्यापारियों की हालत पस्त – व्यापारियों पर पड़ी है दोहरी मार – नेपाल में फंसा है करोड़ों रुपया- बिहार के बोर्डर पर फंसे है हजारों ट्रक- चुनाव ड‍्यूटी के कारण बैंक का काम भी प्रभावित संवाददाता, मुजफ्फरपुर. विधान सभा चुनाव 2015 व नेपाल में चल रहे आंदोलन का अच्छा खासा […]

चुनाव व नेपाल संकट से व्यापारियों की हालत पस्त – व्यापारियों पर पड़ी है दोहरी मार – नेपाल में फंसा है करोड़ों रुपया- बिहार के बोर्डर पर फंसे है हजारों ट्रक- चुनाव ड‍्यूटी के कारण बैंक का काम भी प्रभावित संवाददाता, मुजफ्फरपुर. विधान सभा चुनाव 2015 व नेपाल में चल रहे आंदोलन का अच्छा खासा असर उत्तर बिहार के व्यापारियों पर पड़ रहा है. इससे सबसे अधिक प्रभावित कपड़ा बाजार पर पड़ा है. दशहरा, दीपावली व छठ की तैयारी लोग एक डेढ़ माह पूर्व से ही शुरू कर देते है, लेकिन इस बार के चुनाव के कारण पूरी तैयारी धरी की धरी रह गयी. व्यापारियों पर इस बार दोहरी मार पड़ी है. नेपाल में चल रहे आंदोलन के कारण वहां करोड़ों रुपये फंसे हैं. दूसरा, जिस समय चुनाव हुआ इससे पूरा व्यापार ठप हो गया. अभी भी बिहार के बोर्डर पर हजारों ट्रक माल लेकर फंसे हैं. जो इस डर से नहीं आ रहे है कि चुनाव में उनकी गाड़ियों को पकड़ लिया जायेगा. दशहरा तो गया अब दीपावली भीव्यापारियों की माने तो नेपाल में चल रहे आंदोलन का सबसे व्यापक असर कपड़ा बाजार पर पड़ा है और मायूसी छाये भी क्यों ना पूरे साल में दशहरा, धनतेरस-दीपावली व छठ में जम कर व्यापार होता है. कपड़ा, सोना-चांदी, इलेक्ट्रॉनिक्स सहित विभिन्न सामानों का इसमें करोड़ों रुपये का व्यापार होता है. इसे लेकर व्यापारी दो माह पूर्व से ही तैयारी में लग जाते है, लेकिन इसी बीच चुनाव की घोषणा होने के साथ ही आचार संहिता लागू हो गयी और पचास हजार रुपये से अधिक कैश ले जाना प्रतिबंधित हो गया. अभी पांचवें चरण का चुनाव खत्म नहीं हुआ है. ऐसे में व्यापारी अभी भी सहमें हैं. आठ को काउंटिंग है और नौ को धनतेरस है. ऐसे में व्यापारी न तो माल मंगवा पा रहे हैं और न ही बाहर भेज पा रहे हैं. ऐसे में व्यापारियों को नुकसान होना स्वभाविक है. बैंकरों की चुनाव ड‍्यूटी का भी पड़ा असरव्यापारियों की माने तो बैंकरों की चुनाव में ड‍्यूटी लगे होने के कारण व्यापार जगत पर इसका व्यापक असर पड़ा. चुनाव के 15 दिन पूर्व से प्रशिक्षण को लेकर बैंकों में काम-काज प्रभावित था. इसी बीच एक साथ दो तीन त्योहारों की छुट‍्टी पड़ी, ऐसे में व्यापारियों के पैसे का लेनदेन प्रभावित हो गया. चुनाव के दौरान उधारी मांगने पर व्यापारी व ग्राहक कहते है कैश दे नहीं सके और चेक व ड्राफ्ट लिया, लेकिन वह भी बैंकों में समय पर कैश नहीं हो पाया. सभी व्यापारी अभी भी इंटरनेट व मोबाइल बैंकिंग नहीं प्रयोग कर रहे है. ग्रामीण क्षेत्र के बैंकों में पहले से ही स्टाफ की कमी है, इसलीय चुनाव ड‍्यूटी के कारण ग्रामीण क्षेत्र में तो पूरी तरह व्यापार प्रभावित हो हुआ है. धनतेरस रहेगा फीका इस का असर धनतेरस में देखने को मिलेगा. धनतेरस में सोना-चांदी, बर्तन व इलेक्ट्रॉनिक्स की जमकर खरीदारी होती है. सर्राफा संघ के व्यापारियों ने बताया की अभी चुनाव खत्म नहीं हुआ है, ऐसे में बाहर से व्यापारी माल लेकर मंडी में नहीं आ रहे है. धनतेरस के 10-15 दिन पूर्व से ही दूर-दराज से लोग पुराने चांदी के सिक्के बेचने आते थे, लेकिन चुनाव के धड़-पकड़ को लेकर कोई नहीं आ-जा रहा है. इलेक्ट्रॉनिक्स के करोड़ों रुपये का माल बोर्डर पर ट्रक के साथ अटका पड़ा है. सात के बाद नहीं होगा थोक का व्यापारकपड़ा थोक व्यवसायियों की माने तो सात नवंबर तक ही उनका व्यापार होना है. चूंकि, उसके बाद आठ को काउंटिंग, नौ को धनतेरस, 11 को दीपावली और इसके बाद छठ की तैयारी है. ऐसे में व्यापार कैसे होगा पता नहीं. इस बार व्यापारी पूरी तरह फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं. जब तक नेपाल में आंदोलन नहीं थमता है तब तक सूतापट‍्टी सहित उत्तर बिहार के व्यापारियों का करोड़ों रुपया वापस नहीं आयेगा. व्यापार क्रेडिट पर चलता है व्यापारी ब्याज की रकम भरते-भरते परेशान हैं.बयान – चुनाव व नेपाल संकट से पूरा व्यापार जगत प्रभावित हुआ है. नेपाल के आंदोलन का समाधान निकल सकता था, लेकिन केंद्र व राज्य दोनों सरकार चुनाव में लगी थी. चुनाव खत्म होने के बाद नेपाल संकट का समाधान निकलेगा ऐसी उम्मीद है. लेकिन इस सीजन का व्यापार चौपट हो गया. नेपाल संकट जल्द खत्म होता है तो व्यापारियों को उनके फंसे करोड़ों रुपये मिलने की उम्मीद होगी. ———– मोतीलाल छापड़िया, अध्यक्ष, नॉर्थ बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स – सर्राफा मंडी में सोने-चांदी के भाव में गिरावट के बावजूद मायूसी छायी है. धनतेरस में कुछ ही दिन शेष बचे हैं, लेकिन बाहर से कोई व्यापारी चुनाव को लेकर मंडी में नहीं आ रहे है. इस बार धनतेरस में रौनक नहीं होगी. चूंकि, काउंटिंग के अगले दिन ही धनतेरस पड़ रहा है. ऐसे में लोगों के पास इसकी तैयारी का समय नहीं होगा तो इसका असर सर्राफा बाजार पर पड़ना तय है. ——– सुरेश ठाकुर, अध्यक्ष, सर्राफा संघ- सरकार को चुनाव कम से कम एक माह पूर्व या एक माह बाद कराना चाहिए था. जिस माह में चुनाव हुआ है, इसका व्यापारियों को इंतजार रहता है. दशहरा व धनतेरस में इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार में बहुत रौनक होती है, लेकिन इस बार के चुनाव के कारण पूरा बाजार प्रभावित हुआ है. —— रवि बोहरा, पूर्व अध्यक्ष, इलेक्ट्रॉनिक व्यवसायी संघ.

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