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मसूर, मटर, राजमा, मेथी, लहसुन, धनिया, राई व सूर्यमुखी की करें बोआई

मसूर, मटर, राजमा, मेथी, लहसुन, धनिया, राई व सूर्यमुखी की करें बोआई धान की बाली में दूध भरकर दाना बनने की अवस्था में ,उसमें सिंचाई जरूरी शरदकालीन गन्ना की रोपाई के लिए करें खेत की तैयारी वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरमौसम विभाग ने किसानों को रबी फसल की तैयारी करने को कहा है. समय से लगायी गयी […]

मसूर, मटर, राजमा, मेथी, लहसुन, धनिया, राई व सूर्यमुखी की करें बोआई धान की बाली में दूध भरकर दाना बनने की अवस्था में ,उसमें सिंचाई जरूरी शरदकालीन गन्ना की रोपाई के लिए करें खेत की तैयारी वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरमौसम विभाग ने किसानों को रबी फसल की तैयारी करने को कहा है. समय से लगायी गयी फसल से बेहतर उत्पादन की उम्मीद होती है. मसूर, मटर, राजमा, मेथी, लहसुन, धनिया, राई व सूर्यमुखी फसलों की बोआई के लिए खेतों की तैयारी करना जरूरी है. गोबर की सड़ी खाद 150-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से पूरे खेत में अच्छी प्रकार बिखेड़कर जुताई कर दें. इससे गोबर अच्छी तरह खेतों में मिल जायेगा. खेतों में अंकुरण के लायक नमी बनाये रखने के लिए प्रत्येक जुताई के बाद पाटा चला दें. शुष्क मौसम को देखते हुए किसान अागात धान व मक्का की तैयार फसलों की कटाई एवं दाना निकालने का काम करें. धान की फसल में बाली निकल रही है. बाली में दूध भरकर दाना बनने की अवस्था में है. उसमें सिंचाई जरूरी है. इस अवस्था में धान की बालियों पर गंधी कीड़े दिखाई पड़ने पर नियंत्रण के लिए 10 प्रतिशत फॉलीडाल धूल का प्रति हेक्टेयर 10-15 किलो की दर से भूरकाव 8 बजे सुबह से पहले या पांच बजे शाम के बाद बालियों पर करें. फूलगोभी, मिर्च, टमाटर, बैगन, प्याज, भिंडी, लौकी, नेनुआ सब्जियों में आवश्यकतानुसार निकाई-गुड़ाई, सिंचाई व यूरिया का उपरिवेशन करना बेहतर होगा. शरदकालीन गन्ना की रोपाई के लिए खेत की तैयारी करें. 15 अक्तूबर के बाद इसकी रोपनी की जा सकती है. तोरी की बोआई करना जरूरी है. पीली सरसों की बोआई के लिए मौसम अनुकूल हो रहा है, इसकी बोआई 15 अक्तूबर के बाद की जा सकती है. राजेेंद्र सरसों-1 व स्वर्णा किस्में इस क्षेत्र के लिए अनुशंसित हैं. अंतिम जुताई के समय प्रति हेक्टेयर 87 किलो डीएपी, 57 किलो अमोनियम सल्फेट व 62 किलो म्यूरेट आफ पोटाश का उपयोग करें. बोआई 30 सेंटीमीटर लंबा और 10 सेमी पर कतार में लगायें. सितंबर में बोयी गई अरहर की फसल में निकाई-गुड़ाई करें. गौशाला में रात के समय नीम की पत्तियों का धुआं करें ताकि मच्छर तथा मक्खियों के प्रवेश थम सके.

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