मुजफ्फरपुर: आपने इतनी देर कर दी. अभी तक आपको समझ लेना चाहिए था. मैनेज कर लेना चाहिए था. नहीं सर, यह आरटीआइ के तहत केवल सूचना चाहते हैं. हमने इनसे कई बार बात की है. कार्यालय में भी फोन कराया, लेकिन मानने को तैयार नहीं हैं. यह बातें शुक्रवार को जिला परिषद के लोक सूचना पदाधिकारी सैय्यद आले हुसैन व सहायक गणोश ठाकुर के बीच हो रही थीं.
मामला था प्रभात खबर के प्रतिनिधि प्रेम कुमार की ओर आरटीआइ में मांगी गयी जानकारी का. इस बातचीत के गवाह भी प्रेम कुमार बने, क्योंकि वह 20वीं बार जिला परिषद में इस आशा के साथ पहुंचे थे, उन्हें सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मिलेगी, लेकिन जानकारी देना तो दूर. जिला परिषद के लोक सूचना अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक इस बात में अपना समय लगा रहे थे, कैसे जानकारी देने से बचा जाये और इसकी एवज में और कुछ किया जाये.
प्रेम कुमार शुक्रवार को लेकर सवा तीन बजे के आसपास आरटीआइ की जानकारी लेने जिला परिषद कार्यालय पहुंचे. वहां पहुंचते ही सहायक गणोश ठाकुर से पूछा, सूचना का क्या हुआ. इस पर गणोश ठाकुर ने कहा, हम आपको पहचान रहे हैं. आप मेरे सर से बात कर लीजिये. इसके बाद गणोश ठाकुर ने लोक सूचना अधिकारी सैयद आले हुसैन से परिचय कराया, जिस पर उन्होंने सहायक गणोश ठाकुर की ओर देखा और कहा, आपने अभी तक क्या किया. बातचीत का क्रम चल रहा था. इसी दौरान वहां पहले से मौजूद एक नेता ने प्रभात खबर प्रतिनिधि से नाम पूछा? इसके बाद लोक सूचना पदाधिकारी सैय्यद आले हुसैन प्रभात खबर प्रतिनिधि के आपने साथ चेंबर में लेकर चले गये, जहां उन्होंने आपकी परेशानी क्या है? आप क्यों सूचना चाहते हैं? इस पर प्रभात खबर की ओर से कहा गया, समाचार के लिए हमें सूचना चाहिए तो लोक सूचना पदाधिकारी कुछ देर तक चुप रहे. इसके बाद बोले, अगर इसका कोई और उपाय है तो आप बताइये. सूचना क्या कीजियेगा? जब यह बातचीत चल रही थी, तब प्रभात खबर के प्रतिनिधि की ओर से कहा गया, हम आपसे आधिकारिक बात कर रहे हैं. इसके लोक सूचना अधिकारी आले हुसैन की ओर से कहा गया, हमें दो-तीन दिन का समय और दीजिये. हम आपको सूचना जरूर देंगे.
शुक्रवार से पहले 19 बार प्रभात खबर प्रतिनिधि जानकारी के लिए जिला परिषद कार्यालय गये, लेकिन सहायक गणोश कुमार बार-बार कोई न कोई बहाना बना देते. पांच जुलाई को जब आरटीआइ के तहत आवेदन दिया गया था, तभी गणोश कुमार की ओर से कहा गया, सूचना का क्या कीजियेगा? हम इतनी लंबी रिपोर्ट कहां से जुटायेंगे? इस पर प्रभात खबर प्रतिनिधि की ओर से कहा गया, हमें समाचार के लिए जानकारी चाहिए. इसके बाद गणोश कुमार ने आवेदन रख लिया. प्राप्ति रसीद (रिसीविंग) दे दी, लेकिन उस पर कोई आइडी नंबर व मुहर नहीं लगायी.
आरटीआइ दाखिल करने के एक माह बाद प्रभात खबर प्रतिनिधि के मोबाइल पर फोन आया. दूसरी ओर से एक स्थानीय नेता बोल रहे थे. उनका कहना था, आप से हम मिलना चाहते हैं. यह नेता जिला परिषद के पूर्व में सदस्य रह चुके हैं, जब प्रभात खबर प्रतिनिधि की ओर से कहा गया, अगर आपको मिलना है तो कार्यालय आइये. इसके बाद उक्त नेता ने फोन नहीं किया.
इसके बाद जिला परिषद में काम करनेवाले एक पूर्व इंजीनियर ने प्रभात खबर कार्यालय में फोन किया और कहा, प्रेम कुमार को जिला परिषद से कोई गिला-शिकवा है क्या? उन्होंने आरटीआइ के तहत सूचना मांगी है. आप देख लीजियेगा. बातचीत केदौरान जब पूर्व इंजीनियर को लगा, मामला नहीं बनेगा तो उन्होंने दुबारा फोन नहीं किया.
इसके बाद प्रेम कुमार सूचना के लिए जिला परिषद कार्यालय पहुंचे तो सहायक गणोश ठाकुर ने कहा, आपके बॉस (अधिकारी) से बात हो गयी है. इस पर प्रभात खबर प्रतिनिधि ने कहा, आपकी बात भले ही हमारे अधिकारी से हुई है, लेकिन हमें सूचना चाहिए. इस पर गणोश ठाकुर ने कहा, हमारे अधिकारी की तबियत खराब है. इसके बाद बार-बार जाने पर गणोश ठाकुर की ओर से अलग-अलग बहाने बनाये जाते रहे और सूचना देने से मना किया जाता रहा, लेकिन जब उन्होंने देखा, प्रभात खबर प्रतिनिधि लगातार उनके पास सूचना के लिए पहुंच रहे हैं 18 अक्तूबर को वह उन्हें अपने अधिकारी के पास ले गये.