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नवरुणा कांड: तीन साल, तीन जांच एजेंसी, उपलब्धि सिफर
मुजफ्फरपुर : बहुचर्चित नवरुणा अपहरण कांड का तीन साल पूरा होने जा रहा है. इस घटना की जांच में तीन एजेंसी लगी, फिर भी अब तक कोई नतीजा ही नहीं निकल सका. बार-बार नवरुणा के माता-पिता जांच एजेंसियों पर ही सवाल उठाते रहे कि शिथिलता के कारण ही नवरुणा को बरामद नहीं किया जा सका. […]
मुजफ्फरपुर : बहुचर्चित नवरुणा अपहरण कांड का तीन साल पूरा होने जा रहा है. इस घटना की जांच में तीन एजेंसी लगी, फिर भी अब तक कोई नतीजा ही नहीं निकल सका. बार-बार नवरुणा के माता-पिता जांच एजेंसियों पर ही सवाल उठाते रहे कि शिथिलता के कारण ही नवरुणा को बरामद नहीं किया जा सका. वहीं इस मामले का अब तक निष्कर्ष नहीं निकल सका है.
घटना के बाद पुलिस ने जांच शुरू की. फिर जांच की जिम्मेदारी सीआइडी को दी गई. अब देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई जांच कर रही है. लेकिन अब तक कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है. नवरुणा के पिता अतुल चक्रवर्ती व मां मैत्री चक्रवर्ती का कहना है कि तीन साल किसी माता-पिता के लिए इस दर्दनाक घटना के बाद कैसे गुजरे, यह लोगों को समझना चाहिए.
वर्ष 2012 में 18 सितंबर की रात नवरुणा का अपहरण हुआ. सूचना के बाद 19 सितंबर को सुबह पहुंची पुलिस ने जांच शुरू कर दी. इस मामले में नगर थाना में 19 सितंबर 2012 को कांड संख्या 507/2012 दर्ज किया गया. इसके बाद दारोगा से लेकर एएसपी तक मामले की जांच में जुट गए. डीजीपी अभयानंद खुद मामले की मॉनीटरिंग करने लगे.
एक दर्जन से अधिक दारोगा व इंसपेक्टर के साथ ही डीएसपी को जांच में लगाया गया, लेकिन पुलिस किसी भी नतीजे तक नहीं पहुंच सकी. मात्र तीन महीने 12 दिन पुलिस जांच के बाद इसके अनुसंधान की जिम्मेदारी डीजीपी के द्वारा 31 दिसंबर को सीआइडी को दे दी गई. 15 जनवरी 2013 से सीआइडी ने इस मामले की जांच शुरू कर दी.
सुप्रीम कोर्ट में अभिषेक कुमार सहित चार अन्य लोगों की याचिका पर 25 नवंबर 2013 को सीबीआइ जांच का आदेश कोर्ट ने दिया और 14 फरवरी 2014 को सीबीआइ ने मामले की प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी.
करीब 13 महीने तक इसकी जांच सीआइडी ने की, 14 फरवरी 2014 को प्राथमिकी दर्ज करने के बाद पहली बार सीबीआइ की टीम 18 फरवरी को नवरुणा के घर पहुंचकर जांच में जुट गयी. 25 मार्च 2014 को डीएनए टेस्ट के लिए एसकेएमसीएच में ले जाकर नवरुणा के माता-पिता का ब्लड सेंपल लिया गया.
इस बीच सीबीआइ की टीम लगातार मुजफ्फरपुर में कैंप किए रही. दर्जनों लोगों से पूछताछ भी की गई. एक दर्जन से अधिक लोगों व पुलिस अधिकारियों का पॉलीग्राफ जांच भी कराई गयी, फिर भी जांच रिपोर्ट संतोषप्रद नहीं रहने के कारण 28 अगस्त को सीबीआइ की मुजफ्फरपुर स्थित विशेष न्यायालय ने जांच रिपोर्ट से असंतोष जाहिर किया.
पुन: 30 सितंबर को पूरक जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है. कोर्ट के कड़े रुख के बाद सात सितंबर को भी सीबीआइ टीम ने कोर्ट में कुछ कागजात प्रस्तुत किए. सीबीआइ जांच के भी 19 माह पूरे हो गए लेकिन अब तक नतीजा सामने कुछ नहीं दिख रहा है.
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