20 जुलाई को जूली को लेकर मंजू बेतिया पहुंची और 22 जुलाई को वहां के एसपी से मिली. 23 जुलाई को वे लोग कचहरी पहुंचे थे, तभी जूली के घरवालों ने घेरकर मारपीट शुरू कर दी. वकीलों ने बीच-बचाव किया, तो मामला शांत हुआ. अगले दिन लौरिया थाना में सभी को बुलवाया गया. मंजू यहां से जूली को दिल्ली ले जाने से डर गयी थी, जबकि जूली किसी कीमत पर अपने घर जाने को तैयार नहीं थी. ऐसे में पुलिस ने चाइल्ड लाइन को यह मामला सुपुर्द कर दिया, जहां से जूली को बालिका गृह भेजा गया.
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पढ़ाई के लिए घरवालों से बगावत
मुजफ्फरपुर: 15 साल की जूली ने महज नौ साल की उम्र में हुई शादी को मानने से इनकार कर पढ़ने के लिए घरवालों से बगावत की, तो उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. बेतिया की रहने वाली जूली पढ़-लिखकर बेहतर कैरियर बनाने के लिए दिल्ली में मौसेरी बहन के साथ रहकर पढ़ाई कर रही थी. इस […]
मुजफ्फरपुर: 15 साल की जूली ने महज नौ साल की उम्र में हुई शादी को मानने से इनकार कर पढ़ने के लिए घरवालों से बगावत की, तो उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. बेतिया की रहने वाली जूली पढ़-लिखकर बेहतर कैरियर बनाने के लिए दिल्ली में मौसेरी बहन के साथ रहकर पढ़ाई कर रही थी. इस बीच जब घरवालों ने उसे ससुराल भेजने की तैयारी शुरू की तो विवाद शुरू हो गया. फिर उसे न केवल कोर्ट-कचहरी व थाने का चक्कर लगाना पड़ा, बल्कि एक महीने तक मुजफ्फरपुर बालिका गृह में भी रहना पड़ा. वह किसी भी हाल में घर जाने को तैयार नहीं थी, लेकिन गुरुवार को सीडब्लूसी ने उसके माता-पिता को बुलवाकर समझाया और उनके साथ भेज दिया.
बेतिया के लौरिया थाना क्षेत्र की जूली ने एक साथ दो-दो सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठायी है. एक तो बाल विवाह और दूसरा लड़कियों की शिक्षा के प्रति उदासीनता. बचपन में हुई शादी को मानने से इनकार करते हुए जूली ने जब अपने घरवालों के साथ जाने से मना कर दिया, तो 24 जुलाई को बेतिया की लौरिया पुलिस ने उसे सीडब्लूसी के सुपुर्द कर दिया. पूरे दिन काउंसिलिंग के बाद बात नहीं बनी, तो वहां से उसे मुजफ्फरपुर बालिका गृह भेज दिया गया. यहां भी उसे घर भेजने के लिए दबाव डाला जाता रहा. कई बार उसके मां-बाप आये, लेकिन वह उनके साथ जाना नहीं चाहती थी.
इस बीच गुरुवार को बेतिया सीडब्लूसी की टीम जूली को अपने साथ ले गयी और समझा-बुझाकर परिवार वालों के साथ भेज दिया. मुजफ्फरपुर बालिका गृह की अधीक्षक इंदू कुमारी ने बताया कि जूली अपने घर इसीलिए नहीं जाना चाहती थी कि मां-बाप उसे ससुराल भेज देते. वह अभी पढ़ना चाहती थी. अधीक्षक ने बताया कि काउंसिलिंग में जूली के मां-बाप को इस बात के लिए समझाया गया है कि उसको पढ़ने दें. बिना उसकी मरजी के जबरदस्ती नहीं भेजा जा सकता.
कैसे पहुंची बालिका गृह
सात भाई-बहनों में दूसरे नंबर की जूली जब नौ साल की थी, तभी उसकी शादी हो गयी. करीब डेढ़ साल पहले वह अपनी मौसेरी बहन मंजू के यहां दिल्ली गयी और पढ़ने की इच्छा जाहिर की. बहन ने उसे अपने पास ही रख लिया और आठवीं में एडमिशन करा दिया. इस साल वह नौवीं में पढ़ रही थी, तभी उसकी मुश्किलें शुरू हो गयीं. करीब पांच-छह महीने पहले जूली के माता-पिता दिल्ली पहुंचे और गवना कराने की बात कहकर जूली को अपने साथ लाने का प्रयास किये. हालांकि जूली ने बचपन में हुई शादी का विरोध करते हुए ससुराल जाने से इनकार कर दिया, तभी से बात बिगड़ गयी. कुछ दिनों बाद ही दुबारा उसके घरवालों ने पहुंचकर हंगामा किया. यहां तक कि अपहरण का भी आरोप लगाया.
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