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गिरोह के जरिये बीएमपी में हुये थे भरती!

सुनील कुमार सिंह मुजफ्फरपुर : फर्जीवाड़ा कर बीएमपी जवान बने आठ अभ्यर्थियों को जब मिठनपुरा थाने में मीडिया के सामने पेश किया गया, तो इनके चेहरों पर नकाब पड़ा था, चार ने काला नकाब पहना था, तो तीन ने चेहरे पर रुमाल बांध रखी थी. एक ने गमछा लपेटा हुआ था. भले ही फर्जीवाड़ा करनेवाले […]

सुनील कुमार सिंह
मुजफ्फरपुर : फर्जीवाड़ा कर बीएमपी जवान बने आठ अभ्यर्थियों को जब मिठनपुरा थाने में मीडिया के सामने पेश किया गया, तो इनके चेहरों पर नकाब पड़ा था, चार ने काला नकाब पहना था, तो तीन ने चेहरे पर रुमाल बांध रखी थी. एक ने गमछा लपेटा हुआ था. भले ही फर्जीवाड़ा करनेवाले इन सिपाहियों के चेहरे ढके थे, लेकिन इनके पीछे से वो असलियत झांक रही थी, जो इन्होंने सिपाही बनने के लिए की थी.
पूछताछ के दौरान ही एक सिपाही ने कहा कि हम तो ठगे गये हैं. हम हॉस्टल में रहते थे. वहीं पर भरती के लिए कुछ लोगों ने विश्वास दिलाया. विश्वास होने के बाद हम से पांच लाख की मांग की गयी थी, जिसका पचास फीसदी भुगतान कर दिया गया था, जबकि बाकी बचे पैसे का भुगतान जब इन लोगों की नौकरी पक्की हो जाती, तब किया जाना था. लेकिन इसी बीच ट्रेनिंग के दौरान इनका भांडा फूट गया. बताया जाता है कि बीएमपी में भरती हुये इन सभी का बयान बीएमपी के अधिकारियों ने दर्ज किया है. उसकी कॉपी पुलिस को सौपी गयी है.
मिठनपुरा थानाध्यक्ष शैलेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि हमारे थाने में हाजत नहीं है. इस वजह से आठों का चालन काटना जरूरी था. इसी वजह से हम लोग पूछताछ नहीं कर सके, लेकिन जो बात सामने आ रही है. उसमें साफ है कि इन लोगों ने भरती होने के लिए बड़ी रकम दी थी, जो जांच का विषय है. इसकी जांच की जायेगी और जो लोग इसके पीछे हैं. उनका खुलासा किया जायेगा.
बताया जाता है कि भरती के पहले इन लोगों से गिरोह के सदस्यों ने संपर्क किया. उन्होंने विश्वास दिलाया कि उनके पास पूरी तरह का पक्का प्लान है और वो इन्हें बीएमपी में सिपाही बनवा देंगे. इसके लिए अभ्यर्थी के हिसाब से पांच से आठ लाख रुपये तक पर डील हुई थी.
इसके बाद उन लोगों से बात करायी गयी, जो इनके स्थान पर परीक्षा देनेवाले थे. परीक्षा हुई तो इनकी जगह पर उन लोगों ने परीक्षा दी. उन्होंने अपनी राइटिंग में कापी लिखी. साथ ही अंगूठे के निशान लगाये. परीक्षा में पास हुये, तो ये लोग ट्रेनिंग के लिए बीएमपी, मुजफ्फरपुर पहुंच गये, लेकिन ट्रेनिंग के दौरान ये उस तरह का प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे.
जैसी परीक्षा देकर ये भरती हुये थे. इसी से अधिकारियों का शक इन पर गहराया और दुबारा से इनके कागजात की जांच शुरू की गयी.
गिरोह के सदस्यों को इस बात का तनिक भी आभास नहीं था कि ट्रेनिंग के दौरान ये मामला खुल सकता है, क्योंकि अभी तक ऐसे कम ही मामले देखने में आये हैं, लेकिन यहां पर फर्जीवाड़ा कर सिपाही बननेवालों की किस्मत ने साथ नहीं दिया और ट्रेनिंग के दौरान इनकी करतूत सामने आ गयी और अब ये सलाखों के पीछे हैं.

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