पारू: पारू प्रखंड का चक्की सोहागपुर गांव की भौगोलिक स्थिति को देख कर एसएसपी सौरभ कुमार दंग रहे गये. जंगल-झाड़ी होकर पांच किमी पैदल चल कर गांव पहुंचे. एसएसपी सौरभ कुमार ने बताया कि इस गांव की जो भौगोलिक स्थिति है, उसे सुरक्षा व अन्य दृष्टि से सारण जिले में जोड़ देने से इस गांव को लाभ हो सकता है. उन्होंने कहा कि इसके लिए वे जिलाधिकारी व सरकार से अनुशंसा करेंगे.
भौगोलिक स्थित इस प्रकार है कि इस गांव में आने का रास्ता भी सारण जिला होकर ही है. इस गांव के लोगों का अपना कोई हाट बाजार नहीं है. इस कारण छपरा जिले के तरैया, अमनौर व चउचड़वा व मशरख आदि जगहों पर जाकर मार्केटिंग करते हैं. इसमें उन्हें आठ से दस किमी की दूरी तय करनी पड़ती है. इस गांव के बच्चे नहीं जान पाते कि मेला व बाजार भी होता है. साग-सब्जी से लेकर दैनिक उपयोग की सभी सामान के लिए इन्हें छपरा जिले में ही जाना पड़ता है. मुजफ्फरपुर जिले के बाजारों से इन्हें कोई खास लाभ नहीं मिलता.
नहीं पहुंचती विकास योजनाएं
चक्की सोहागपुर गांव पंचायती राज व्यवस्था के बाद भी विकास योजनाओं के लाभ से वंचित है. न यहां सड़कें हैं, न बिजली, न पेयजल की कोई व्यवस्था है और न बच्चों के पढ़ने के लिए स्कूल. भौगोलिक दृष्टिकोण से जंगल-झाड़ियों व नारायणी व गंडक नदी से जुड़ा यह गांव अलग-थलग पड़ गया है. यहां के बच्चे स्कूल पढ़ने नहीं जाते. न यहां कभी सरकार ने ध्यान दिया, ना स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने. इस कारण यह गांव अबतक उपेक्षित है. जो बच्चे हैं, वे पढ़ाई के बदले, इस गांव के अपराध की इतिहास सुनते व जानते हैं. जिसका आगामी परिणाम बहुत ही खराब हो सकता है. यदि समय रहते सरकार व प्रशासन ने इस गांव की ओर ध्यान नहीं दिया, तो यहां की स्थिति और भी विस्फोटक हो सकती है.
उपकेंद्र में पुलिस पिकेट खोलने की थी चर्चा
गांव में बड़ी जोर से स्वास्थ्य उपकेंद्र में पुलिस पिकेट खोले जाने की चर्चा थी. शायद इसी को लेकर नक्सलियों ने यह योजना बनायी कि स्वास्थ्य उपकेंद्र व पूर्व मुखिया के घर को ही उड़ा दिया जाये, ताकि यहां पुलिस पिकेट नहीं खुल सके. जानकारी हो कि पश्चिम दियारा क्षेत्रों में नक्सली गतिविधियों को बढ़ते देख चीता दस्ता व एसएसबी कैंप पारू व सरैया में स्थापित हो चुका है. इसके बाद भी चक्की सोहागपुर की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यहां कांबिंग ऑपरेशन भी कभी नहीं चलाया गया. भय के कारण पुलिस भी इस गांव में नहीं जाती.