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दीक्षांत समारोह ..और हवा में उछलने लगीं टोपियां

मुजफ्फरपुर: घड़ी की सुई 12.49 मिनट पर पहुंची, तो आम्रपाली ऑडिटोरियम के मंच से दीक्षांत समारोह के पूरा होने की घोषणा हुई. इसी के साथ सम्मान पाने वाले छात्र-छात्रओं के अरमान सामने आने लगे. कुछ मंच की ओर चले, तो कुछ हॉल के बाहर निकल कर हवा में टोपी उछाल कर खुशी का इजहार करने […]

मुजफ्फरपुर: घड़ी की सुई 12.49 मिनट पर पहुंची, तो आम्रपाली ऑडिटोरियम के मंच से दीक्षांत समारोह के पूरा होने की घोषणा हुई. इसी के साथ सम्मान पाने वाले छात्र-छात्रओं के अरमान सामने आने लगे. कुछ मंच की ओर चले, तो कुछ हॉल के बाहर निकल कर हवा में टोपी उछाल कर खुशी का इजहार करने लगे, तो कोई खुद की सेल्फी उतारने लगा. कई लोग अपने परिजनों के साथ इस यादगार लम्हे को कैमरे में कैद करने में जुट गये. सभी ने अपनी तरह से सम्मान को यादगार बनाने की कोशिश की. ये सिलसिला कई मिनट तक चलता रहा. यूनिवर्सिटी प्रशासन के अधिकारी व अतिथि हाल में मौजूद थे. ये लोग सम्मान पानेवाले छात्रों का उत्साह देख खुद को गैरवान्वित महसूस कर रहे थे.

गाउन पहन पहुंचे . इससे पहले सुबह से सम्मान पानेवाले छात्र-छात्रएं आम्रपाली ऑडिटोरियम पहुंचने लगे थे. ऑडिटोरियम के आसपास का नजारा बदला हुआ था. सभी खास रंग के परिधानों में थे. कोई लाल, कोई काला, कोई नीला तो कोई पर्पल रंग का गाउन पहने. माहौल भी उत्सवी व रोमांच से भरा है. ऑडिटोरियम के अंदर से रह-रह कर माइक से आवाज गूंजती है, सभी अपनी-अपनी सीटों पर बैठ जायें. इतना सुनते ही हर युवा के कदम अचानक तेज हो जाते हैं. हर कोई जल्दी से ऑडिटोरियम के अंदर पहुंचना चाहता है. कहीं देर न हो जाये, कहीं मैं छूट न जाऊं की सोच उन पर हावी है. हो भी क्यों नहीं! आखिर वर्षो की तपस्या का इनाम जो उन्हें मिलना है. वो भी सूबे के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी व गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा के हाथों से.

सुबह 10:15 बजे एमडीडीएम की प्राचार्य डॉ ममता रानी माइक से घोषणा करती हैं, बिहार के राज्यपाल ऑडिटोरियम में प्रवेश कर चुके हैं. इतना सुनते ही हर कोई अपनी निर्धारित सीट पर जाकर बैठ जाता है. सुबह 10:38 मिनट पर प्रोसेशन टीम ऑडिटोरियम में प्रवेश करती है. सबसे आगे कुलसचिव डॉ रत्नेश मिश्र विवि का झंडा थामे हैं. राष्ट्रगान के बाद 10:48 बजे राज्यपाल दीक्षांत समारोह की शुरुआत की घोषणा करते हैं.

सबसे पहले गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा को डीलिट की मानद उपाधि दी जाती है. इसके साथ ही अपनी सीटों पर अनुशासित बच्चे की तरह बैठे छात्र-छात्रओं के मन में रोमांच का ज्वार उठने लगता है. यह उनके चेहरे पर साफ दिखायी पड़ रहा है. जैसे ही डीएससी की उपाधि के लिए डॉ उमेश कुमार श्रीवास्तव का नाम पुकारा जाता है, यह रोमांच चरम पर पहुंच जाता है. करीब दो घंटे तक चले कार्यक्रम में एक-एक कर 158 छात्र-छात्रओं के बीच गोल्ड मेडल, पीएचडी-डीएससी-डीलिट की उपाधि दी जाती है. बिहार व गोवा के राज्यपाल का अभिभाषण होता है. कुलपति अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हैं, तब तक छात्र-छात्रएं शांत हैं, लेकिन जैसे ही दोपहर 12:49 बजे समारोह की समाप्ति की घोषणा होती है. सम्मान पाने छात्र अपनी तरीके से खुशी का इजहार करते हैं.

फेसबुक पर अपलोड की फोटो

दीक्षांत समारोह की शुरुआत के साथ सोशल साइट फेसबुक पर इसकी फोटो अपलोड होनी शुरू हो गयीं. मंच की तस्वीरों को लाइक व कमेंट मिलने लगे. वहां मौजूद अतिथियों की तस्वीरें भी पोस्ट की जा रही थीं. इसके बाद जैसे ही छात्र-छात्रओं को सम्मान मिलना शुरू हुआ. इसकी तस्वीरें भी आने लगीं. कई छात्र-छात्राओं ने प्रमाण-पत्र व मेडल के साथ अपनी सेल्फी अपलोड की, तो कई ने अपने परिजनों के साथ की तस्वीर डाली. दिन पर फेसबुक पर दीक्षांत समारोह की तस्वीरों को अपलोड किये जाने का सिलसिला चलता रहा.

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