डय़ूटी पर मौजूद पारामेडिकल स्टाफ व तकनीशियन रहते भी हैं तो वे काम नहीं करते. दुखद यह है कि उनकी लापरवाही के बावजूद एसकेएमसीएच प्रशासन की ओर से उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती. यहां मरीजों का इलाज जब चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी करते हैं तो उनका इलाज कैसे होता होगा, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है. रविवार को भी यहां ऐसा ही नजारा देखा गया. चतुर्थवर्गीय कर्मचारी ही घायलों की मरहमपट्टी करते देखे गये. एक्सरे विभाग में भी मरीजों का एक्सरे चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी कर रहे थे. सड़क दुर्घटना में घायल राहुल के साथ भी ऐसा ही हुआ. चतुर्थवर्गीय कर्मचारी ही उसकी मरहम पट्टी कर रहे थे.
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एसकेएमसीएच में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी लगाते हैं टांका
मुजफ्फरपुर. एसकेएमसीएच के इमरजेंसी विभाग में मरीजों को टांका पारामेडिकल स्टाफ नहीं, बल्कि चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी लगाते हैं. इतना ही नहीं एक्स-रे विभाग में मरीजों का एक्सरे भी यही करते हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन को इससे कोई मतलब नहीं है. कौन तकनीशियन कब डय़ूटी में है, इसकी जानकारी भी विभागाध्यक्ष को नहीं होती. डय़ूटी पर […]
मुजफ्फरपुर. एसकेएमसीएच के इमरजेंसी विभाग में मरीजों को टांका पारामेडिकल स्टाफ नहीं, बल्कि चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी लगाते हैं. इतना ही नहीं एक्स-रे विभाग में मरीजों का एक्सरे भी यही करते हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन को इससे कोई मतलब नहीं है. कौन तकनीशियन कब डय़ूटी में है, इसकी जानकारी भी विभागाध्यक्ष को नहीं होती.
संभव है कि पारामेडिकल स्टाफ व तकनीशियनों की कमी के कारण चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों से काम लिया जा रहा हो. लेकिन वे इस मामले की जांच करायेंगे
डॉ जीके ठाकुर, अधीक्षक, एसकेएमएसीएच
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