मुजफ्फरपुर: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पीएचडी कोर्स पूरा करने के लिए न्यूनतम दो साल की समय सीमा तय कर रखी है.
पर फिलहाल बीआरए बिहार विवि में ऐसा होता नहीं दिख रहा है. सैकड़ों छात्रों को एक बार फिर शोध कार्य को पूरा करने में अधिक समय व्यतीत करने को मजबूर होना पड़ेगा. ऐसा विवि प्रशासन की ओर से पीएचडी में यूजीसी का रेगुलेशन 2009 लागू करने के निर्णय में देरी के कारण होगा. मामला सत्र 2011 के पीएचडी कोर्स का है.
जुलाई 2011 में पीआरटी टेस्ट पास कर चुके छात्र-छात्रओं से अप्रैल 2012 से सिनॉप्सिस जमा करवाने का कार्य शुरू हुआ. यह सिलसिला चार माह तक चला. बाद में डीआरसी व पीजीआरसी के लिए छात्रों को पांच माह का लंबा इंतजार करना पड़ा. जब छात्र-छात्रएं पीएचडी के लिए पंजीयन शुल्क जमा करने की तैयारी में जुटे थे, तभी विवि प्रशासन ने एक जून 2012 से जमा सभी आवेदनों में यूजीसी का रेगुलेशन 2009 को लागू करने का निर्णय लिया. यह निर्णय करीब दस माह बाद आया.