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मंजुला की किडनी से उर्विजा को मिला नया जीवन

मुजफ्फरपुर: किडनी खराब होने के कारण 33 माह से जीवन व मौत के बीच झूल ही मुजफ्फरपुर की उर्विजा (17) को नया जीवन मिला है. इसके लिए भगवान के रूप में सामने आयी गुजरात के सूरत की रहनेवाली मंजुला बहन (48), जिनका ब्रेन हेमरेज से निधन हो गया, लेकिन उन्होंने इस दुनिया से जाते-जाते उर्विजा […]

मुजफ्फरपुर: किडनी खराब होने के कारण 33 माह से जीवन व मौत के बीच झूल ही मुजफ्फरपुर की उर्विजा (17) को नया जीवन मिला है. इसके लिए भगवान के रूप में सामने आयी गुजरात के सूरत की रहनेवाली मंजुला बहन (48), जिनका ब्रेन हेमरेज से निधन हो गया, लेकिन उन्होंने इस दुनिया से जाते-जाते उर्विजा समेत तीन लोगों को नयी जिंदगी दे दी.
मुजफ्फरपुर के नया टोला की रहनेवाली उर्विजा का 23 सितंबर 2012 से अहमदाबाद के इंस्टीट्यूट ऑफ किडनी डिजीज एंड रिसर्च सेंटर में इलाज चल रहा था. उर्विजा के बारे में जब आर्गन डोनेशन नामक एनजीओ चलानेवाले नीलेश भाई को लगा, तब उसके सदस्यों ने मंजुला बहन के परिजनों से संपर्क साधा.
नीलेश भाई की ओर से उर्विजा के बारे में बताया. पहले मंजुला बहन के पति ने अंगदान से इनकार कर दिया, लेकिन उनके डॉक्टर बेटे ने उर्विजा के बारे में जानकारी ली और पिता को समझा कर मां के अंगदान के लिए तैयार किया. इसके बाद किडनी इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों को इसके बारे में जानकारी दी गयी. उर्विजा के पिता लेफ्टिनेंट राजेश रंजन ने बताया कि नीलेश भाई मेरे लिये किसी फरिश्ते की तरह आये.
मंजुला के परिजनों की हामी के बाद किडनी ट्रांसप्लांट के लिए टेस्ट का दौर शुरू हुआ, जिसमें उर्विजा के शरीर ने मंजुला की किडनी को स्वीकार करने की रिपोर्ट आयी. इसके बाद 31 मई को किडनी ट्रांसप्लांट की तारीख तय हुई. आठ घंटे की मेहनत कर डॉक्टरों ने उर्विजा को मंजुला की किडनी लगा दी. अभी उर्विजा रिकवरी के दौर में है. अगले तीन माह तक डॉक्टरों की निगरानी में रहेगी.
इससे पहले इलाज के दौरान पढ़ाई के लिए उर्विजा मुजफ्फरपुर आती थी, तो यहां भी उसका डाइलिसिस होता था. पिता राजेश रंजन बेटी के स्वास्थ्य को लेकर लगातार चिंतित रहते थे. कहते थे कि अभी उसका पूरा जीवन पड़ा है और जिस तरह की बीमारी उसी हुई है. मुझसे देखा नहीं जाता, कब तक उसे डाइलिसिस के दौर से गुजरना होगा, जब बेटी का अहमदाबाद में किडनी ट्रांसप्लांट हुआ, तो राजेश ने उन सभी लोगों का शुक्रिया किया, जो उर्विजा के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित रहते थे.
बेटी को नया जीवन मिलने से उसके पिता राजेश रंजन सबसे ज्यादा खुश हैं. राजेश एनसीसी में लेफ्टिनेंट व हाजीपुर के एसएमटी हाइस्कूल में प्रधानाध्यापक हैं. राजेश 32 बिहार बटॉलियन मुजफ्फरपुर में तैनात हैं. सामाजिक कामों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते रहे हैं. इसी वजह से एनसीसी की ओर से इनका नाम राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए भेजा गया है. सोमवार को ही राजेश अहमदाबाद से लौट कर मुजफ्फरपुर आये हैं. उन्होंने शहर लौटते ही गरीबस्थान मंदिर जाकर पूजा की और बेटी के सफल किडनी प्रत्यारोपण के लिए भगवान का शुक्रिया अदा किया.
इंटर में मिले 72 फीसदी अंक
दो साल तक अहमदाबाद से इलाज कराने के बाद इस साल जनवरी में पढ़ायी के लिए उर्विजा घर लौटी. पिता राजेश रंजन ने उसका नाम एमडीडीएम कॉलेज में लिखवाया था. वो अच्छे अंकों से हाइस्कूल पास हुई थी. बीमारी के बीच तैयारी करके उसने इस बार 12वीं की परीक्षा दी. उसे 72 फीसदी अंक मिले हैं. संगीत में उसे 75 फीसदी से ज्यादा नंबर मिले हैं.

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