इनका काम लेवी वसूलना, परचा चिपकाना व हथियार एक-जगह से दूसरी जगह पहुंचाना है़ इनकी गिरफ्तारी से देवरिया, साहेबगंज व पारू के दियारा इलाके में नक्सली गतिविधि पर काफी हद तक अंकुश लगेगा़ एएसपी ब्रजेश राणा ने बताया कि देवरिया में नक्सलियों से हुए मुठभेड़ में रमेश पासवान के साथ रामजीवन दास भी शामिल था़ .
पुलिस से चारों तरफ से घिरने पर रमेश लगातार रामजीवन को बम विस्फोट करने का निर्देश दे रहा था़ इनकी गिरफ्तारी बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. गिरफ्तार हार्डकोर दशई उर्फ कनकटवा के साथ उसके तीनों साथी सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर थे, लेकिन पहचान नहीं होने से पकड़ में नहीं आ रहे थ़े. डुमरी परमानंदपुर निवासी राम जीवन दास इंजीनियरिंग का छात्र था. सेकेंड सेमेस्टर में फेल होने के बाद वह मायूस हो गया व इंजीनियरिंग छोड़ कर गांव लौट गया. इसके बाद गांव में ही प्राइवेट शिक्षक के तौर पर बच्चों को पढ़ाने लगा. लेकिन, इसे उसका आय पर फर्क पड़ रहा था. उसे पैसों की किल्लत होने लगी थी. इसी बीच वह जोनल कमांडर रमेश के संपर्क में आया. इसके बाद वह शिक्षा की ओर से दूर हो गया व नक्सली संगठन से जुड़ गया. तब से पकड़े जाने तक वह उत्तर बिहार जोनल कमेटी का अहम सदस्य माना जाने लगा था.