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14 कॉलेजों के पास कोर्स चलाने तक का पैसा नहीं

मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि के अंगीभूत कॉलेजों में चल रहे वोकेशनल कोर्स की हालत दयनीय है. फिलहाल चौदह कॉलेजों में 20 वोकेशनल कोर्स आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. हाल यह है कि जुलाई माह तक कोर्स को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए भी कॉलेजों के पास पर्याप्त राशि उपलब्ध नहीं है. ऐसे […]

मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि के अंगीभूत कॉलेजों में चल रहे वोकेशनल कोर्स की हालत दयनीय है. फिलहाल चौदह कॉलेजों में 20 वोकेशनल कोर्स आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. हाल यह है कि जुलाई माह तक कोर्स को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए भी कॉलेजों के पास पर्याप्त राशि उपलब्ध नहीं है. ऐसे में इन कोर्सो को जारी रखना कॉलेज प्रबंधन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं. बावजूद सुधार के लिए न तो विवि और न ही कॉलेज प्रबंधन के पास फिलहाल कोई योजना है.
दरअसल, कॉलेजों में वोकेशनल कोर्स सेल्फ फाइनेंस के तहत चलते हैं. इसके तहत कोर्स का संचालन छात्र-छात्राओंके नामांकन शुल्क व यूजीसी से प्राप्त फंड से ही होता है. इसी राशि से रिसोर्स पर्सन, कर्मचारियों, कोर्स डायरेक्टर, को-ऑर्डिनेटर को भुगतान किया जाता है. छात्र-छात्राओं को लैब आदि की सुविधा भी इसी राशि से उपलब्ध करायी जाती है. पिछले कुछ सालों से वोकेशनल कोर्स में नामांकन के प्रति छात्र-छात्राएं कुछ खास रुचि नहीं दिखा रहे हैं. इस कारण फंड एक बड़ी समस्या बनी हुई है.
उधारलेने को बनी थी रिपोर्ट
विवि में नैक की तैयारियों के लिए भवनों का जीर्णोद्धार होना है, पर फिलहाल इसके लिए राशि उपलब्ध नहीं है. ऐसे में शुरुआत में विवि प्रशासन ने कॉलेजों के वोकेशनल कोर्स के फंड में उपलब्ध राशि से भवनों के जीर्णोद्धार की योजना बनायी. इसके लिए इस साल की शुरुआत में सभी कॉलेजों से उनके यहां चल रहे वोकेशनल कोर्स के आय-व्यय का ब्योरा मांगा गया था. 39 अंगीभूत कॉलेजों में से 30 कॉलेजों ने विवि प्रशासन को रिपोर्ट उपलब्ध करायी. हालांकि अधिकांश कॉलेजों ने सिर्फ आय का ही ब्योरा दिया. इसके बाद विवि प्रशासन ने जुलाई 2015 तक कोर्स संचालन के लिए न्यूनतम सात लाख रुपये का मानक तय कर रिपोर्ट तैयार की गयी. यह आधिकारिक रिपोर्ट नहीं थी. बल्कि इसका मकसद उन कॉलेजों से पैसे उधार लेना था, जिनके पास वोकेशनल कोर्स के फंड में राशि उपलब्ध थी. इसमें पाया गया कि 14 कॉलेजों में चल रहे 20 वोकेशनल कोर्स के पास व्यय के न्यूनतम मानक के लायक भी पैसे नहीं हैं.
विवि के हिस्से से होगा भवनों का जीर्णोद्धार!
बीते मार्च महीने में कुलपति डॉ पंडित पलांडे ने सभी 39 अंगीभूत कॉलेजों के प्राचार्यो के साथ बैठक की. इसमें नैक की तैयारी के लिए वोकेशनल कोर्स के फंड में उपलब्ध राशि उधार मांगी गयी. लेकिन प्राचार्यो ने फंड डायवर्सन का आरोप लगने की आशंका जताते हुए इससे इनकार कर दिया. इसके बाद विवि प्रशासन ने वोकेशनल कोर्स के अपने हिस्से की राशि से भवनों के जीर्णोद्धार का फैसला लिया है. फिलहाल इस मद में विवि के पास चार करोड़ रुपये हैं. इसका प्रस्ताव शनिवार को सिंडिकेट की बैठक में रखा गया, लेकिन इस पर सहमति नहीं बनी. सदस्यों ने इस मामले में वित्त परामर्शी से सलाह लेने का सुझाव दिया है. दरअसल, कॉलेजों में छात्र-छात्रओं के नामांकन से प्राप्त राशि का दस प्रतिशत विवि के खाते में जमा किया जाता है. इस राशि का उपयोग कॉलेजों में चल रहे वोकेशनल कोर्स की मॉनिटरिंग, परीक्षाओं के संचालन, कोर्स के रेगुलेशन व ऑर्डिनेंस बनाने व समय-समय पर सिलेबस में सुधार आदि पर किया जाना है.
नियमों के तहत जिन कॉलेजों में लगातार तीन साल तक 20 से कम सीटों पर ही नामांकन हुआ है, उन्हें बंद कर देना है. फिलहाल सत्र खत्म होने को हैं और छात्र-छात्रओं का नामांकन हो चुका है, ऐसे में उन्हें पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध करायी जानी चाहिए. इसके लिए प्रशासन सीमित संसाधनों के बावजूद कॉलेजों को नियमानुकूल व समयानुकूल सुविधाएं उपलब्ध करायेगी. डॉ सतीश कुमार राय, कुलानुशासक

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