फोटो माधव वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर. राजेंद्र कृषि विवि पूसा के मुख्य वैज्ञानिक धान डॉ एन के सिंह ने कहा, अब धान उत्पादन के लिए मॉनसून पर निर्भर रहने की जरू रत नहीं है. गेहूं उत्पादन में जितना पानी खर्च करते हैं उतने ही पानी में धान का उत्पादन बेहतर तरीके से किया जा सकता है. कम अवधि का धान बीज खेतों में सीधी बोआई कर अधिक उत्पादन ले सकते हैं. इसमें खर्च भी ट्रांसप्लांटिंग विधि से काफी कम लगता है. डॉ सिंह आम्रपाली ऑडिटोरियम में आयोजित जिला स्तरीय खरीफ कर्मशाला में कृषि समन्वयक व प्रखंड कृषि अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे. डॉ सिंह ने कहा, एक बिगहा खेत की रोपनी करने में 12 हजार रुपये खर्च होता है. लेकिन, धान की सीधी बोआई से खर्च काफी कम जाता है. किसान प्रभात, राजेंद्र भगवती, पूसा 83, नरेंद्र 97 के साथ कम अवधि वाले हाइ ब्रिड नस्ल के धान की बोआई कर सकते हैं. किसान 90 से 105 दिन में धान का उत्पादन कर सकते हैं. मुख्य अतिथि राजेंद्र कृषि विवि पूर्व कुलपति डॉ गोपाल जी त्रिवेदी ने कहा, अब बदलते मौसम में किसानों धान की खेती के लिए सोच बदलने की जरू रत है. डीएसआरआइ विधि से खेती करने में खर पतवार भी नहीं होते हैं. इस मौके पर डीएओ सुधीर कुमार, आत्मा पीडी अरविंद कुमार, सहायक निदेशक पौधा संरक्षण देवनाथ प्रसाद, केवीके सरैया के वैज्ञानिक के के सिंह, उप परियोजना निदेशक आत्मा विनोद कुमार सिंह मौजूद थे. इधर 360 किसान सलाहकार अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चल रहे हैं. इस कारण इस कार्यक्रम में भिड़ नहीं थी. अधिकांश कुर्सियां खाली थी. इन लोगों के हड़ताल पर रहने के कारण इस कार्यक्रम की सफलता पर सवाल खड़ा हो गया है. .
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गेहूं जितना पटवन से करें धान का बेहतर उत्पादन
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