मुजफ्फरपुर. प्राकृतिक स्रोत में छेड़छाड़ के कारण भूमिगत जलस्तर में औसतन तीन से चार फुट गिरावट आयी है. पहले कुआं व चापाकल से पानी निकाला जाता था, अब सिंचाई, पेयजल व उद्योग को लेकर काफी नीचे तक सब्मरसेबुल बोरिंग, सैलो ट्यूब बेल के माध्यम से पानी खींचा जाता है. इसके कारण जलस्तर नीचे भाग रहा है. पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता सुधेश्वर प्रसाद यादव की मानें तो जेनेरेटर, मोटर वाहन, चिमनी उद्योग से काफी प्रभाव पड़ा है. पहले प्राकृतिक स्रोत के तौर पर तालाब व बांध की व्यवस्था कर पानी को संरक्षित किया जाता था. इसमें काफी कमी आयी है. मुजफ्फरपुर में अमूमन तीन से चार फुट नीचे जलस्तर चला गया है. हालांकि बरसात के समय यह स्रोत रिचार्ज होकर सामान्य हो जाता है. पानी को स्टोर करने की जरू रत है. कम लेयर के पानी को ट्रीटमेंट कर पीना चाहिए था, लेकिन लोग जल स्रोत को ही नुकसान पहुंचा रहे हैं. सोलर लाइट व बैटरी से ऊर्जा प्राप्त करनी चाहिए. जेनेरेटर से बचने की जरू रत है. मुजफ्फरपुर की तुलना में सीतामढ़ी व पटना की स्थिति ठीक नहीं है. पटना के छज्जूबाग इलाके में सामान्य से पांच फुट नीचे व सीतामढ़ी के परिहार के चार-पांच पंचायतों का भी यही हाल है.
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तीन फुट नीचे चला गया जलस्तर
मुजफ्फरपुर. प्राकृतिक स्रोत में छेड़छाड़ के कारण भूमिगत जलस्तर में औसतन तीन से चार फुट गिरावट आयी है. पहले कुआं व चापाकल से पानी निकाला जाता था, अब सिंचाई, पेयजल व उद्योग को लेकर काफी नीचे तक सब्मरसेबुल बोरिंग, सैलो ट्यूब बेल के माध्यम से पानी खींचा जाता है. इसके कारण जलस्तर नीचे भाग रहा […]
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