ऐसे में ये देखना जरूरी है, आखिर शहर में कहां-कहां ब्रेकर हैं. प्रभात खबर ने जब ब्रेकर के संबंध में जानकारी जुटानी शुरू की, तो केवल मुजफ्फरपुर शहर में इनकी संख्या सैकड़ों नहीं हजारों में पहुंच गयी.
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ब्रेकर बिगाड़ रहे शहर की सेहत
मुजफ्फरपुर: पटना हाइकोर्ट ने पूरे प्रदेश से 15 दिन के अंदर स्पीड ब्रेकर हटाने का निर्देश दिया है. इससे केवल स्कूल व अस्पतालों को अलग किया है, जिनके पास स्पीड ब्रेकर हो सकता है. इससे संबंधित निर्देश पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव को दिया गया है, जिन्हें अपने विभाग के अधिकारियों से कोर्ट के […]
मुजफ्फरपुर: पटना हाइकोर्ट ने पूरे प्रदेश से 15 दिन के अंदर स्पीड ब्रेकर हटाने का निर्देश दिया है. इससे केवल स्कूल व अस्पतालों को अलग किया है, जिनके पास स्पीड ब्रेकर हो सकता है. इससे संबंधित निर्देश पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव को दिया गया है, जिन्हें अपने विभाग के अधिकारियों से कोर्ट के आदेश का पालन करवाना है.
शहर में लोगों के बीच स्पीड ब्रेकर बनाने की होड़ सी लग गयी है, जिसका मन हुआ, उसने सड़क को घेर कर ब्रेकर बना दिया. सड़क से होकर अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधि तक गुजरते हैं, लेकिन कोई इनके बारे में जानकारी लेने तक की तकलीफ नहीं उठाता है. इस संबंध में जब हमने लोगों की राय जानी, तो नब्बे फीसदी से ज्यादा लोगों का कहना था कि मोहल्लों में स्पीड ब्रेकर घातक हैं. इनसे तरह-तरह की बीमारियां व परेशानियां होती हैं. ये होने ही नहीं चाहिए, लेकिन जो लोग ये बात कह रहे थे, उनके घर के पास ही ब्रेकर बने हुये थे.
शहर में जो ब्रेकर बने हैं. उनको बनाने में किसी तरह के मानक का पालन नहीं किया गया है, जिसका जितना मन होता है. उनका ऊंचा व बड़ा ब्रेकर बना देता है. इसका सिलसिला लगातार जारी है. कई मोहल्ले के लोगों का कहना था कि हम लोगों ने ब्रेकर इसलिए बनाया था, ताकि स्पीड से बाइक चलानेवालों पर रोक लगे, लेकिन इससे हमारी ही परेशानी बढ़ गयी है. अब हम ब्रेकर नहीं चाहते हैं.
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