मुजफ्फरपुर: मई जैसी गर्मी होने पर भी बच्चों में एइएस (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) का प्रकोप नहीं हो रहा है. कई विशेषज्ञों का मानना है कि एइएस का कारण सिर्फ तापमान का बढ़ना व आद्र्रता का कम होना होता तो एइएस का प्रकोप समाप्त नहीं होता. हर वर्ष तेज गरमी के बाद बरसात की शुरुआत के बाद यह बीमारी समाप्त हो जाती थी. लेकिन इस बार बरसात भी ठीक से नहीं हुई.
बावजूद बीमारी अपने समय से चला गया. पिछले कई वर्षो में बीमारी की शुरुआत व समाप्ति की अवधि में तापमान का प्रभाव रहा है, लेकिन बीमारी लीची के मंजरों के साथ शुरू व फल की समाप्ति के साथ समाप्त होती रही है. जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ भागीरथ प्रसाद कहते हैं कि गर्मी, लीची व फसलों में डाले जाने वाले खाद का संयुक्त प्रभाव इस बीमारी की मूल वजह हो सकती है. उन्होंने अपनी संभावनाओं से नेशनल सेंटर फॉर कंट्रोल डिजीज व सेंटर फॉर कंट्रोल डिजीज के विशेषज्ञों से अवगत कराया था. विशेषज्ञ उनकी संभावनाओं पर भी अध्ययन कर रहे हैं. लेकिन इस वर्ष मौसम के जो हालात बने हैं, उससे यह संभावना ज्यादा बन रही है कि इस बीमारी का लीची व उसमें डाले जाने वाले से कोई संबंध है.
ऐसे ही तापमान में हुई थी कई बच्चों की मौत : यहां मई व अगस्त के तापमान को तुलनात्मक ढंग से रखा गया है. समान तापमान में ही मई में कई बच्चे इस बीमारी की चपेट में आये थे. जबकि कई बच्चों ने दम तोड़ा था. जबकि इस महीने गरमी मई की तरह होने पर भी एइएस के लक्षण नहीं दिख रहे हैं. तापमान के समान होने पर कई डॉक्टर भी मानने लगे हैं कि बीमारी के कारणों में तापमान एक कारण हो सकता है, बीमारी की मुख्य वजह नहीं.