वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरहिंद स्वराज के प्रति कोई भी सरकार आज तक गंभीर नहीं हुई. महात्मा गांधी को जो संदेह था उसे आजादी के बाद केंद्र व राज्य सरकारों ने पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ा. जवाहर लाल नेहरू ने ईमानदारी के साथ गांधी से अपने मतभेदों को कभी नहीं छिपाया. तब से कोई भी सरकार हिंद स्वराज के प्रति ईमानदारी से काम नहीं किया. यही कारण है कि आज गांधी संस्थाएं खतरे में हैं. प्रतिबद्ध लोगों की घोर कमी हो गई है. सामाजिक प्रतिबद्धता में कमी आयी है. यह बातें आरडीएस कॉलेज के पूर्व अंगरेजी विभागाध्यक्ष प्रो केके झा ने कही. उन्होंने कहा, शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत गांधी संस्थाएं भी सरकार पर निर्भर हो जाने के कारण अपना तेज खो बैठी है. गांधी में सामंजस्य व शांति का सोच था. गांधी की संस्थाएं युग धर्म को निभाने में विफल रही है. व्यक्तिगत विकास की आकांक्षा ने गांधी संस्थाओं को काफी नुकसान पहुंचाया. अहिंसा व समरस समाज की स्थापना का सपना था, वह पूरा नहीं हो सका. विषय प्रवेश प्रो अवधेश कुमार सिंह ने कराया. उन्होंने कहा कि गांधी की संस्थाएं आज गहन पीड़ा की दौर से गुजर रही है. श्रम उनसे दूर हो गई है. जबकि गांधी की सोच में श्रम को शीर्ष स्थान प्राप्त था. अध्यक्षता सर्वोदयी चिंतक लक्षणदेव प्रसाद सिंह ने की. संचालन अरुण कुमार सिंह ने किया. स्वागत अरविंद वरुण ने किया. इस मौके पर अनिल कुमार ओझा, डॉ एमएन रजबी, अनिल शंकर ठाकुर, डॉ अवधेश कुमार, विनोद शंकर झा ने संबोधित किया. डॉ कृष्ण मोहन ने धन्यवाद दिया.
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हिंद स्वराज के प्रति गंभीर नहीं हुई कोई सरकार
वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरहिंद स्वराज के प्रति कोई भी सरकार आज तक गंभीर नहीं हुई. महात्मा गांधी को जो संदेह था उसे आजादी के बाद केंद्र व राज्य सरकारों ने पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ा. जवाहर लाल नेहरू ने ईमानदारी के साथ गांधी से अपने मतभेदों को कभी नहीं छिपाया. तब से कोई भी […]
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