फोटो 15संरचना आर्ट थियेटर की ओर से कवि गोष्ठी आयोजितसिक्किम व असम के कवियों ने सुनायी नेपाली व असमिया रचनाएंवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर : संरचना आर्ट थियेटर की ओर से सोमवार को गोला रोड स्थित कार्यालय में बहुभाषीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस मौके पर सिक्किम से आये कवि अमर बानिया लोहोरो, असम से पूर्ण कुमार शर्मा व छत्रमान सुब्बा ने कई नेपाली व असमिया कविताओं का पाठ कर लोगों को काव्य भाव से परिचित कराया. तीनों कवियों की रचनाएं मनुष्यता को बचाए जाने पर केंद्रित थी. कवियों ने अपनी कविताओं से विश्व शांति की प्रार्थना की. कार्यक्रम की शुरुआत आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री के गीत तीखे कांटों के फूलों का शृंगार बना दो तो जाने को प्रस्तुति से हुई. डॉ विजय शंकर मिश्र ने पहले जैसा गांव नहीं है कविता सुना कर लोगों की सराहना ली. श्रवण कुमार ने मैं जिनकी फिक्र में दिन रात लिखता हूं गजल से लोगों की तालियां बटोरी. डॉ सिबगतुल्लाह हमीदी ने मुमकिन है दूरियों को घटाया न गया हो, और दोस्ती का हाथ मिलाया न गया हो गजल सुना कर लोगों को मुग्ध कर दिया. डॉ नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी ने चांद पर बसने की जब तैयारियां होने लगी सुना कर खूब वाहवाही बटोरी. डॉ नइम कौसर की गजल मैं तो मोती हूं समुद्र से निकालो मुझको भी काफी सराही गयी. मो रफी ने ये आजमाइशे मुहब्बत है संभालना तुम सुना कर लोगों को मुग्ध कर दिया. संस्था के सचिव सुधीर कुमार के गीत भी लोगों ने काफी पसंद किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता आरके उप्पल ने की. इस मौके पर प्रमोद नारायण मिश्र,शिव प्रकाश शंकर, रवि रत्नम, संजय कुमा रजक, प्रेम कुमार चौधरी, यश कुमार, प्रकाश राज व संतोष कुमार की रचनाएं भी पसंद की गयी.
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बहु भाषीय कविताओं में दिखी जीवन की संवेदना
फोटो 15संरचना आर्ट थियेटर की ओर से कवि गोष्ठी आयोजितसिक्किम व असम के कवियों ने सुनायी नेपाली व असमिया रचनाएंवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर : संरचना आर्ट थियेटर की ओर से सोमवार को गोला रोड स्थित कार्यालय में बहुभाषीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस मौके पर सिक्किम से आये कवि अमर बानिया लोहोरो, असम से […]
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