मुजफ्फरपुर: सेना में नौकरी के लिए अभ्यर्थी मेडिकल प्रमाण पत्र में ही नहीं, आचरण और आवासीय प्रमाण पत्र में भी धड़ल्ले से फर्जीवाड़ा कर रहे हैं. इसका खुलासा मुजफ्फरपुर सेना भरती कार्यालय से तीन अभ्यर्थियों के पकड़े जाने के बाद हुआ है. सैन्य अधिकारियों की तरफ से की गयी जांच-पड़ताल में इसके तार उत्तर बिहार के कई एसपी कार्यालयों से जुड़ गया है.
सबसे ज्यादा फर्जीवाड़े का मामला मुजफ्फरपुर व दरभंगा पुलिस अधीक्षक कार्यालय के गोपनीय सेल से उजागर हुआ है. गोपनीय सेल के कर्मचारी व बिचौलिये के बीच सांठ-गांठ इतना तगड़ा है कि इन दोनों जिले से फर्जी आचरण पत्र बनवा कर इसका सत्यापन कराने तक में बिचौलिये सफल साबित हो रहे हैं. हालांकि, सैन्य अधिकारियों की सक्रियता के कारण फर्जी तरीके से बनाये एवं सत्यापित किये गये सभी आचरण प्रमाण पत्र को चिह्न्ति कर लिया गया है. इन्हें बारी-बारी से जांच कर कार्रवाई प्रारंभ कर दी गयी है.
चयनित 14 अभ्यर्थियों की गयी नौकरी
उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों के 14 अभ्यर्थियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. पकड़ में आने के बाद सेना भरती कार्यालय चक्कर मैदान के निदेशक ने दो दर्जन में से 14 चयनित अभ्यर्थियों के ज्वाइनिंग पर रोक लगा दी है. वहीं देश के विभिन्न कोने में ट्रेनिंग एवं नौकरी कर रहे करीब एक सौ अभ्यर्थियों के आचरण एवं आवासीय प्रमाण पत्र की दोबारा जांच शुरू कर दी गयी है. सैन्य अधिकारी खुद पुलिस अधीक्षक एवं डीएम ऑफिस में जाकर प्रमाण पत्रों को सत्यापन करा रहे हैं. इनमें मुजफ्फरपुर, पश्चिम व पूर्वी चंपारण, दरभंगा, समस्तीपुर व सीतामढ़ी के अभ्यर्थी शामिल हैं.
एसपी के पत्र से चली जाती डेढ़ दर्जन नौकरियां
सेना भरती निदेशक ने दरभंगा एसपी ऑफिस को डेढ़ दर्जन अभ्यर्थियों के आचरण प्रमाण पत्रों की सत्यापन के लिए पत्र भेजा. पत्र भेजने के कुछ दिनों बाद ही एसपी के हस्ताक्षर एवं मुहर के साथ भरती निदेशक की ओर से भेजे गये पत्र का हवाला देते हुए एक पत्र आया. इसमें सही आचरण रहने वाले अधिकांश अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र को फर्जी करार दिया गया. जबकि, प्रारंभिक जांच के बाद सैन्य अधिकारी सभी चयनित अभ्यर्थियों को देश के विभिन्न सैन्य ग्रुपों में वर्ष 2013 में ही अलग-अलग जगहों पर ट्रेनिंग के लिए डिस्पैच कर चुके हैं. एसपी की ओर से भेजे गये पत्र पर जब सैन्य अधिकारियों को संदेह हुआ, तब उन्होंने खुद दरभंगा जाकर इसकी जांच-पड़ताल की. इसमें पता चला कि एसपी ऑफिस की ओर से सेना को कोई ऐसा पत्र भेजा ही नहीं गया है. इसी तरह, मुजफ्फरपुर वरीय पुलिस अधीक्षक के गोपनीय सेल से भी हुआ है. यहां से 58 अभ्यर्थियों के कैरियर के साथ खिलवाड़ किया गया. हालांकि, सैन्य अधिकारियों की जांच में दोनों एसपी ऑफिस के फर्जीवाड़ा का खुलासा हो गया. सैन्य अधिकारियों ने इसकी जानकारी हेड क्वार्टर के अधिकारियों को भी दे दी है.