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मुजफ्फरपुर : मेयर, दो पूर्व नगर आयुक्त समेत दस पर प्राथमिकी

मुजफ्फरपुर : नगर निगम में लगभग पौने चार करोड़ रुपये के ऑटो टिपर घोटाला में मेयर सुरेश कुमार समेत दस पर बुधवार को पटना के निगरानी थाने में प्राथमिकी दर्ज हो गयी. प्राथमिकी में मेयर के अलावा दो पूर्व नगर आयुक्त रमेश प्रसाद रंजन और डाॅ रंगनाथ चौधरी, तत्कालीन कार्यपालक अभियंता बिंदा सिंह, सहायक अभियंता […]

मुजफ्फरपुर : नगर निगम में लगभग पौने चार करोड़ रुपये के ऑटो टिपर घोटाला में मेयर सुरेश कुमार समेत दस पर बुधवार को पटना के निगरानी थाने में प्राथमिकी दर्ज हो गयी.
प्राथमिकी में मेयर के अलावा दो पूर्व नगर आयुक्त रमेश प्रसाद रंजन और डाॅ रंगनाथ चौधरी, तत्कालीन कार्यपालक अभियंता बिंदा सिंह, सहायक अभियंता नंद किशोर ओझा, महेंद्र सिंह, कनीय अभियंता मो क्यामुद्दीन अंसारी, डूडा के बर्खास्त जेई प्रमोद कुमार सिंह, भरत लाल चौधरी एवं मौर्या मोटर्स पटना को आरोपित बनाया गया है.
मामले की जांच एक डीएसपी रैंक के अधिकारी करेंगे. विजिलेंस जांच के बाद नगर विकास एवं आवास विभाग ने सभी आरोपितों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के लिए विजिलेंस को पिछले सप्ताह अनुमति दी थी.
जल्दबाजी के भुगतान में फंसे मेयर व एडीएम रंगनाथ चौधरी
मेयर सुरेश कुमार व अपर समाहर्ता (एडीएम) डॉ रंगनाथ चौधरी आपूर्ति कर्ता एजेंसी को जल्दबाजी में भुगतान कर फंस गये हैं. 16 जनवरी, 2018 को नगर निगम में स्थायी नगर आयुक्त संजय दूबे की तैनाती हो गयी थी. उसी दिन आनन-फानन में तत्कालीन प्रभारी नगर आयुक्त एडीएम रंगनाथ चौधरी ने एक दिन में लगभग 1.72 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया था.
संचिका पर भुगतान के लिए मेयर अनुमोदित किये हुए हैं, जिस दिन ऑटो टिपर भुगतान का चेक कटा है. उसी दिन तत्कालीन नगर आयुक्त सह एडीएम ने विभिन्न मदों में भुगतान के लिए लगभग तीन करोड़ रुपये का चेक काटा.
कबाड़ बन रहे हैं 50 ऑटो टिपर
कंपनीबाग स्थित नगर आयुक्त के आवास व बगल के इंदिरा पार्क में कबाड़ बन रहे हैं ऑटो टिपर. महीनों से एक ही जगह 50 ऑटो टिपर के खड़े रहने के कारण ज्यादातर के टायर पंचर हो गये हैं. पार्ट्स भी खराब हो गये हैं.
कम कीमत वाली कंपनी को छोड़ अधिक रेट पर खरीद
डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए सितंबर 2017 में 50 ऑटो टिपर खरीदने के लिए निगम ने टेंडर निकाला था. इसमें पटना के मौर्या मोटर्स के अलावा मुजफ्फरपुर की तिरहुत ऑटोमोबाइल ने टेंडर डाला. तिरहुत ऑटोमोबाइल की तरफ से ऑटो टिपर की कीमत कम रहने के बावजूद अधिक कीमत देने वाली पटना की मौर्या मोटर्स को ऑर्डर दिया गया.
इतना ही नहीं, ऑटो टिपर की क्वालिटी के साथ भी समझौता किया गया. इसके बाद तिरहुत ऑटोमोबाइल ने विजिलेंस जांच के लिए लिखित शिकायत की.

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