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पूर्व मेयर की हत्या : हमरा खुशी के नजर लग गेलई, अब कइसे जियब

मुजफ्फरपुर : पूर्व मेयर समीर कुमार की हत्या के बाद शोक में डूबे मिठनपुरा के नंद विहार कॉलोनी का सन्नाटा रात करीब पौने 11 बजे परिजनों व शुभेच्छुओं के चीत्कार से टूटा. दरवाजे पर एंबुलेंस से शव पहुंचते ही घंटों से जमे लोगों का धैर्य जवाब दे गया और सब फूट-फूटकर रोने लगे. कुछ लोग […]

मुजफ्फरपुर : पूर्व मेयर समीर कुमार की हत्या के बाद शोक में डूबे मिठनपुरा के नंद विहार कॉलोनी का सन्नाटा रात करीब पौने 11 बजे परिजनों व शुभेच्छुओं के चीत्कार से टूटा. दरवाजे पर एंबुलेंस से शव पहुंचते ही घंटों से जमे लोगों का धैर्य जवाब दे गया और सब फूट-फूटकर रोने लगे. कुछ लोग शव पकड़कर रोने लगे. परिवार की महिलाएं भी दरवाजे पर आहट मिलते ही दहाड़े मारकर रोने लगी थी.
देर शाम घटना की जानकारी होने के बाद से ही नंद विहार कॉलोनी स्थित पूर्व मेयर के आवास पर भीड़ जुटने लगी थी. कई लोग वहां से सीधे एसकेएमसीएच चले गए. घर पर परिवार व रिश्तेदारी के साथ ही आस-पड़ोस की महिलाएं जुट गई थी. दर्जनों लोग दरवाजे पर भी जमे थे. पूरे मोहल्ले में भीड़ के बावजूद सन्नाटा पसरा हुआ था. कभी-कभार लोगों की खुसुर-फुसुर सुनाई दे रही थी.
पोस्टमार्टम के बाद शव आने का सबको इंतजार था. दरवाजे पर जैसे ही एंबुलेंस पहुंची, लोगों ने चारों तरफ से घेर लिया. परिजन दहाड़े मारकर रोने लगे, जिससे सबकी आंखें नम हो गईं. लोगों ने रोते-बिलखते किसी तरह शव एंबुलेंस से निकालकर कैंपस में रखा.
बेटे के शव के पास से नहीं उठ रही थी मां : पूर्व मेयर की मां शव के पास पहुंचते ही बेसुध हो गई. अचानक गुमशुम हुई तो लोगों ने चेहरे पर पानी का छींटा मारा. वह लगातार रो रही थी. शव के पास भी बहुत देर तक बैठी रही. उनकी दशा देखकर लोग हटाना चाह रहे थे, लेकिन वह किसी की सुनने को तैयार नहीं थी. लोग उन्हें ढांढस बंधा रहे थे.
वहीं पूर्व मेयर के ससुर व सास सहित ससुराल के अन्य सदस्यों का भी रोते-रोते बुरा हाल था. पूर्व मेयर के दाेनों छोटे भाई रात में ही पहुंच गए. उन्हें किसी तरह घटना की जानकारी मिली. दूसरे नंबर के संदीप कुमार सीतामढ़ी में रहते हैं, जबकि छोटे सुमित कुमार पटना में. जैसे ही घटना की जानकारी मिली, दोनों भाई परिवार के साथ चल दिए.
बेटों के आने के बाद होगा अंतिम संस्कार : पूर्व मेयर समीर कुमार का अंतिम संस्कार दोनों बेटों के आने के बाद सोमवार को किया जाएगा. परिजनों ने बताया कि सूचना मिलने के बाद ही दोनों बेटे चल दिए हैं. बड़ा बेटा तुषार देहरादून में रहता है, जबकि छोटा तुनिल गुवाहाटी में. मुजफ्फरपुर में समीर कुमार व उनकी पत्नी वर्षा रानी ही रहते थे. कभी-कभार मां भी उनके साथ रहने के लिए आ जाती थी. उनके करीबियों ने बताया कि दो दिन पहले ही वे दिल्ली से आए थे. कुछ माह पूर्व ही उनके पिता का भी देहांत हो गया था.
घर से दूर ही खड़ी रही पुलिस: नंद विहार कॉलोनी में देर रात तक पुलिस की नजर रही. हालांकि पूर्व मेयर के घर से दूर गली में ही पुलिस के जवान खड़े रहे. घटना के बाद इस बात का डर था कि लोगों की नाराजगी पुलिस पर भी हो सकता है. ऐसे में पुलिस दूर रहकर ही स्थिति देख रही थी.
एसकेएमसीएच पहुंचे समर्थक पुलिस को देख बिफरे : कहा – हमारे शेर को तो मार डाला अब चुप रहने से क्या होगा
मुजफ्फरपुर : पूर्व मेयर समीर कुमार के पोस्टमार्टम उनके सैकड़ाें समर्थक पहुंच गए. वहां हर कोई इस घटना से स्तब्ध था. शव के एसकेएमसीएच पहुंचते ही लोगों का आना शुरू हो गया. आते ही उनके एक समर्थक ने चिल्लाते हुए कहा, हमारे शेर को मार डाला अब चुप रहने से क्या होगा. इसके बाद कई लोगों की चीत्कार वहां गूंजने लगी.
उनके समर्थक यह समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर ऐसी घटना कैसे हो गई. रात नौ बजते बजते पूरा पोस्टमार्टम हाउस लोगों से भर गया.परिसर में मौजूद सभी लोग एक दूसरे से इस घटना की जानकारी ले रहे थे. इसी बीच उनके समर्थक ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. हालांकि वहां मौजूद दूसरे लोगों ने उसे शांत कराया.
इतने माई डियर आदमी थे, कैस ये हो गया…: पोस्टमार्टम हाउस के बाहर लोग पूर्व मेयर समीर कुमार के बारे में ही बात कर रहे थे. लोगों का कहना था कि समीर कुमार काफी माई डियर लोग थे, उनके साथ ऐसा कैसे हो गया. उनकी किसी से अदावत भी नहीं चलती थी. ऐसा करने वाला आखिर कौन हो सकता है.
पोस्टमार्टम रूम के पास भी रही भीड़ : पूर्व मेयर की हत्या के बाद पोस्टमार्टम हाउस के बार भी समर्थकों की भीड़ रही. कई लोग अपने सामने पोस्टमार्टम होते हुए देखना चाहते थे. पहले उनके ड्राइवर का पोस्टमार्टम शुरू हुआ फिर पूर्व मेयर का पोस्टमार्टम किया गया.
एसकेएमसीएच के पोस्टमार्टम हाउस के सन्नाटे को पूर्व मेयर के समर्थकों की चीख तोड़ रही थी. बार बार रोने की आवाज और चीख पुकार लोगों के कलेजे को भेद रही थी. सैकड़ों की तादाद में मौजूद लाेग पोस्टमार्टम हाउस के हर कोने में मौजूद थे.
जल्द पोस्टमार्टम कराना चाहती थी पुलिस : गाड़ियों का एक रेला वहां लग गया था. वहां मौजूद पुलिस भी भीड़ के पहुंचने से पहले ही पोस्टमार्टम करा देना चाहती थी. ताकि वहां पर किसी तरह का आक्रोश नहीं भड़के, लेकिन सूचना के फैलते ही समर्थकों व परिजनों की भीड़ पोस्टमार्टम हाउस परिसर में पहुंच गई. रात आठबजे से ही लोगों का पहुंचना शुरू हाे गया.
एक घंटे बाद तक पूरा हाउस भर चुका थाघटन के बाद दोनों शवों को एसकेएमसीएच पुलिस की जीप में लाया गया. सदर थाने में एसआई सुभाष चंद्र सिंह को सबसे पहले इस हत्या की सूचना आई. बकौल सुभाष शाम के साढ़े सात से पौने आठ बजे उन्हें इंस्पेक्टर साहब का फोन आया. उस समय वह पक्की सराय में थे. फोन आते ही वह घटना स्थल की ओर निकल पड़े.
वहां पहुंचे तो काफी भीड़ थी. दोनों शवों क्षत विक्षत हालत में थे. इसके बाद तुरंत उन्होंने गश्ती दल की मदद से शवों को जीप में रखा और एसकेएमसीएच की ओर चल पड़े. पहले इमरजेंसी में लेकर आए जहां डॉक्टरों ने दोनों का मृत घोषित कर दिया.
जिले में कई बार गरज चुकी है एके-47
मुजफ्फरपुर : शहर सहित पूरे उत्तर बिहार में एके-47 से लैस अपराधी पुलिस के लिए सिरदर्द बनते जा रहें हैं. ठेकेदार चंदेश्वर सिंह हत्याकांड के बाद शहर में कई ठेकेदार,भूमि व्यवसायी सहित अन्य कारोबारियों की हत्या अपराधियों ने एके- 47 जैसे प्रतिबंधित हथियार से किया है. हर घटना के बाद पकड़े गये अपराधी के स्वीकारोक्ति बयान में उनके पास एके-47 जैसे प्रतिबंधित हथियार होने की पुष्टि भी हुई है. इसके बाद भी पुलिस के हाथ एक भी एके-47 नहीं लग पायी है. अंजनी ठाकुर के संरक्षक दबंग ठेकेदार बद्री ओझा के यहां छापेमारी के दौरान पुलिस एके-47 की मैगजीन और 30 गोली बरामद किया था. लेकिन एके-47 की बरामदगी नहीं हो पायी.
शंभू-मंटू व पवन गिरोह के पास भी एके-47 : मुजफ्फरपुर के ब्रह्मपुरा निवासी पवन भगत और गैंगस्टर शंभु-मंटू के पास भी एके-47 हथियार उपलब्ध होने की पुष्टि हो चुकी है. अलावे पूर्वी चंपारण के टुन्ना सिंह गिरोह,शिवहर के श्रीनारायण गिरोह, संतोष, मुकेश पाठक सहित कई आपराधिक गिरोहों के पास प्रतिबंधित हथियार एके-47 होने का खुलासा हो चुका है. लेकिन पुलिस किसी गिरोह के पास से उक्त हथियार को बरामद करने में सफल नहीं हो सकी है.
पहली बार 1982 में ठेकेदार की हुई थी हत्या
मुजफ्फरपुर शहर में कई बार एके-47 गरज चुकी है. सबसे पहले काजीमुहम्मदपुर थाना के ठीक सामने छाता चौक पर एके-47 गरजी थी. तीन दशक पहले 1982 में सरस्वती पूजा के दिन काजीमुहम्मपुर थाना के ठीक सामने ठेकेदार चंदेश्वर सिंह की हत्या शातिर अपराधी अशोक सम्राट ने एके-47 से की थी. उसके बाद रामदयालु में दो दशक पहले ठेकेदार रामनरेश शर्मा की हत्या एके-47 से हुई थी. वर्ष 1997 में लालगंज में शातिर अपराधी भुटकुन शुक्ला की हत्या भी एके-47 से ही हुई थी.
भुटकुन हत्याकांड का आरोप दीपक सिंह पर लगा था. उसके पकड़े जाने के बाद भी पुलिस उसके पास से हथियार बरामद नहीं कर सकी. इसके बाद 15 जनवरी 2015 को मिठनपुरा थाना के ही तीन कोठिया में मोतिहारी के ठेकेदार रामप्रवेश और उसके चालक दीनानाथ की हत्या अपराधियों ने एके-47 से कर दी थी. रामप्रवेश हत्याकांड में अमित व मिथलेश को आरोपित किया गया.
दो साल दोनों पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण भी किया. लेकिन पुलिस उसके पास से भी उक्त हथियार को बरामद नहीं कर सकी. इसके बाद शातिर अपराधी अंजनी ठाकुर 10 अक्तूबर 2016 को प्रोपर्टी डीलर पिंटू ठाकुर की हत्या एके-47 से कर दिया था. 6 अप्रैल 2017 को अंजनी ठाकुर ने ही मिठनपुरा में एके-47 से ठेकेदार अतुल शाही को भून दिया था.

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